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तिल्ली की बीमारी क्या है? लक्षण, कारण, इलाज | Spleen in Hindi

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Written by Hexahealth Care Team, last updated on 5 September 2024| min read
तिल्ली की बीमारी क्या है? लक्षण, कारण, इलाज | Spleen in Hindi

Quick Summary

  • The spleen is an organ in the abdomen that helps filter blood and remove waste products.
  • When the spleen is enlarged, it can cause symptoms such as pain in the upper left side of the abdomen, fatigue, and weight loss.
  • There are a number of causes of an enlarged spleen, including infection, cancer, and autoimmune disorders.

शरीर में लसीका तंत्र और प्रतिरक्षा प्रणाली सुरक्षा प्रदान करने का अहम कार्य करते हैं। तिल्ली (प्लीहा) इसी से संबंधित एक अंग है जो  कि पेट के ऊपरी बाईं ओर, बाएं पसली के नीचे स्थित होता है।

शरीर में तिल्ली का कार्य खून को साफ कर अपशिष्ट उप्पादों को हटाना होता है। साथ ही तिल्ली संक्रमण से लड़ने के लिए श्वेत रक्त कोशिकाओं का निर्माण करती है। तिल्ली बढ़ने पर शरीर में कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं। इस लेख से जानते हैं प्लीहा बढ़ने के लक्षण, कारण, नार्मल साइज, पिक्चर, इलाज और उपाय।

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बढ़ी हुई प्लीहा क्या है?

स्प्लेनोमेगाली एक बढ़ी हुई प्लीहा है। इससे पेट में परेशानी, रक्त प्रवाह में कमी और एनीमिया हो सकता है। 

कई बीमारियाँ और स्थितियाँ बढ़े हुए प्लीहा का कारण बन सकती हैं। 

एक सामान्य और स्वस्थ्य तिल्ली का सामान्य आकार १२ सेमी तक लंबा और वजन ७० ग्राम  होता है। तिल्ली के कार्य न कर पाने पर शरीर संक्रमणों से लड़ने की अपनी कुछ क्षमता खो देता है। बढ़ी हुई तिल्ली २० सेमी तक लंबी हो सकती है।

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तिल्ली बढ़ने के लक्षण

कई बार तिल्ली बढ़ने पर किसी प्रकार की समस्या महसूस नहीं होती है। इस कारण से ये पता चलना मुश्किल हो जाता है कि इस अगं में किसी प्रकार की समस्या है। 

कुछ लोगों में तिल्ली बढ़ने पर विभिन्न प्रकार के लक्षण नजर आ सकते हैं। जानिए तिल्ली बढ़ने पर शरीर में क्या अनुभव हो सकता है।

  1. जल्दी पेट भर जाना

  2. ऊपरी बाएं पेट में दर्द

  3. बाएं कंधे में  दर्द

  4. पीठ में दर्द का एहसास

  5. भूख में कमी

अगर तिल्ली  खराब हो जाती है, तो उस कारण से शरीर में निम्न प्रकार के लक्षण दिख सकते हैं:

  1. एनीमिया - शरीर में खून की कमी या एनीमिया हो जाने पर कमजोरी और थकान महसूस होती है।

  2. बार-बार संक्रमण होना - तिल्ली शरीर को संक्रमण से बचाती है। तिल्ली खराब होने पर व्यक्ति को जल्दी संक्रमण हो सकता है।

  3. चोट जल्दी लगना-  खून अधिक बहना या चोट जल्दी लगना  तिल्ली की खराबी की ओर इशारा करता है।

तिल्ली बढ़ने के कारण

तिल्ली बढ़ने के एक नहीं बल्कि बहुत से कारण हो सकते हैं। व्यापकता और व्यक्तिगत मामलों के आधार पर कारण भिन्न हो सकते हैं। कुछ कारण इस प्रकार हैं:

  1. संक्रमण - वायरल, बैक्टीरियल और परजीवी संक्रमण, जैसे मोनोन्यूक्लिओसिस, हेपेटाइटिस, तपेदिक या मलेरिया, एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करते हैं।
    ये प्लीहा के बढ़ने का कारण बनता है जो अंग के आकार को प्रभावित करता है।

  2. लिवर रोग - सिरोसिस, हेपेटाइटिस, या पोर्टल उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियां प्लीहा के बढ़ने का कारण बन सकती हैं।
    क्लिवर और प्लीहा आपस में जुड़े हुए हैं, और लिवर की समस्याओं के कारण प्लीहा की रक्त वाहिकाओं में दबाव बढ़ सकता है।

  3. रक्त विकार - कुछ रक्त विकार, जैसे सिकल सेल रोग या थैलेसीमिया, प्लीहा के बढ़ने का कारण बन सकते हैं।
    ये विकार लाल रक्त कोशिकाओं के आकार या उत्पादन को प्रभावित करते हैं, जिससे प्लीहा वृद्धि होती है।

  4. जमाव या रुकावट - ऐसी स्थितियाँ जिनके परिणामस्वरूप रक्त वाहिकाओं में जमाव या रुकावट होती है, प्लीहा के बढ़ने का कारण बन सकती हैं।
    उदाहरणों में पोर्टल शिरा घनास्त्रता शामिल है, जहां पोर्टल शिरा में रक्त का थक्का बनता है, या स्प्लेनिक शिरा घनास्त्रता, जहां एक थक्का स्प्लेनिक शिरा को बाधित करता है।

  5. सूजन आंत्र रोग (आईबीडी) - पाचन तंत्र की पुरानी सूजन की स्थिति, जैसे क्रोहन रोग या अल्सरेटिव कोलाइटिस, सूजन और प्रतिरक्षा प्रणाली गतिविधि के परिणामस्वरूप प्लीहा में वृद्धि का कारण बन सकती है।

  6. रक्त कैंसर - ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मायलोप्रोलिफेरेटिव नियोप्लाज्म रक्त कैंसर के प्रकार हैं जो रक्त कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि के कारण बढ़े हुए प्लीहा का कारण बन सकते हैं, जिससे अंग का विस्तार हो सकता है।।

  7. अन्य कारण - ऑटोइम्यून विकार जैसे ल्यूपस या रुमेटीइड गठिया, हेमोलिटिक एनीमिया, चयापचय संबंधी विकार और सूजन की स्थिति के कारण भी प्लीहा बढ़ सकता है।
    ये स्थितियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अंग के आकार और कार्य को प्रभावित कर सकती हैं।

  8. आघात या चोट - कुछ मामलों में, प्लीहा पर आघात या चोट के कारण यह बढ़ सकता है।
    यह शारीरिक प्रभाव या प्लीहा से जुड़ी कुछ चिकित्सीय प्रक्रियाओं के कारण हो सकता है

तिल्ली बढ़ने के जोखिम कारक

तिल्ली बढ़ने के जोखिम कारक में कुछ बीमारियां शामिल हैं। दी गई बीमारियों के कारण व्यक्ति में तिल्ली बढ़ने का खतरा अधिक होता है:

  1. वंशानुगत स्फेरोसाइटोसिस - इस दुर्लभ स्थिति या बीमारी  वाले लोग भी गंभीर एनीमिया के उच्च जोखिम में होते हैं। ऐसे लोगों में तिल्ली को हटाने की जरूरत होती है। 

  2. गौचर रोग या सिस्टिक फाइब्रोसिस -  सिस्टिक फाइब्रोसिस के कारण भी तिल्ली बढ़ने का खतरा रहता है।

  3. शराब का सेवन - अत्यधिक शराब का सेवन लिवर की बीमारी में योगदान दे सकता है, जिसके परिणामस्वरूप लिवर से संबंधित जटिलताओं के कारण प्लीहा का आकार बढ़ सकता है।

तिल्ली की रोकथाम

हालांकि बढ़े हुए प्लीहा को रोकना हमेशा संभव नहीं हो सकता है, लेकिन कुछ उपाय जोखिम को कम कर सकते हैं।
इन निवारक उपायों को समझने से व्यक्तियों को तिल्ली के स्वास्थ्य को बनाए रखने की दिशा में सक्रिय कदम उठाने में मदद मिल सकती है।

  1. जीवनशैली विकल्प

    1. स्वस्थ आहार और व्यायाम - संतुलित आहार बनाए रखना और नियमित शारीरिक गतिविधि में शामिल होना समग्र स्वास्थ्य में योगदान दे सकता है।
      संभावित रूप से उन स्थितियों के जोखिम को कम कर सकता है जो प्लीहा वृद्धि का कारण बन सकती हैं।

    2. शराब से बचने - शराब का सेवन से पीने से बचने से लिवर की बीमारी को रोकने में मदद मिल सकती है, जो प्लीहा वृद्धि का एक सामान्य कारण है।

  2. स्वच्छता प्रथाएँ

    1. हाथ स्वच्छता - उचित हाथ धोने और स्वच्छता उपायों का अभ्यास करने से संक्रमण के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है जिसके परिणामस्वरूप प्लीहा वृद्धि हो सकती है।

    2. टीकाकरण - हेपेटाइटिस या निमोनिया जैसे अनुशंसित टीकाकरणों के साथ अद्यतित रहने से कुछ संक्रमणों को रोकने में मदद मिल सकती है जो प्लीहा को प्रभावित कर सकते हैं।

  3. शीघ्र चिकित्सा ध्यान

    1. अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों को प्रबंधित करें - समय पर चिकित्सा देखभाल लेने और ऑटोइम्यून विकारों या रक्त विकारों जैसी स्थितियों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने से प्लीहा वृद्धि के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।

    2. नियमित स्वास्थ्य जांच - नियमित चिकित्सा जांच और स्क्रीनिंग बढ़े हुए प्लीहा के संभावित कारणों का शीघ्र पता लगाने और प्रबंधन में सहायता कर सकती है।

तिल्ली का निदान

तिल्ली बढ़ने के कारण कुछ लोगों को विभिन्न लक्षण नजर आते हैं, वहीं कुछ लोगों को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती है। 

कई बार डॉक्टर किसी दूसरी बीमारी की जांच के दौरान भी बढ़ी हुई तिल्ली का निदान करते हैं। 

  1. रक्त परिक्षण - डॉक्टर तिल्ली की समस्या के निदान के दौरान रक्त का परीक्षण भी कर सकते हैं।
    रक्त परीक्षण के माध्यम से कैंसर, रक्त विकार या फिर यकृत संबंधी समस्या के बारे में पता चलता है।

  2. इमेजिंग परीक्षण - पेट के अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन की मदद से बढ़ी हुई तिल्ली के बारे में जानकारी मिलती है। 

    1. इमेजिंग परीक्षण के माध्यम से बढ़ी हुई तिल्ली की गंभीरता के बारे में भी जानकारी मिलती है। 

    2. यदि तिल्ली में कोई घाव होता है या रक्त का प्रवाह कैसा है, इस बारे में  इमेजिंग परिक्षण में उसकी जानकारी मिल जाती है।

  3. अस्थि मज्जा विश्लेषण - डॉक्टर अस्थि मज्जा के ऊतकों में खून संबंधी सामग्री को जांचने के लिए अस्थि मज्जा विश्लेषण करते हैं।
    अस्थि मज्जा बायोप्सी के दौरान तिल्ली के काम करने तरीके के साथ ही कुछ विकारों के बारे में भी जानकारी मिलती है।

बढ़े हुए प्लीहा का इलाज

बढ़े हुए प्लीहा का उपचार अंतर्निहित कारण और लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। इन उपचार दृष्टिकोणों को समझने से व्यक्तियों को अपने तिल्ली के स्वास्थ्य के संबंध में सूचित निर्णय लेने में मदद मिल सकती है।

रूढ़िवादी उपाय

  1. निगरानी और अवलोकन - ऐसे मामलों में जहां बढ़े हुए प्लीहा के कारण कोई महत्वपूर्ण लक्षण नहीं होते हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए नियमित निगरानी और निरीक्षण की सिफारिश की जा सकती है कि कोई और जटिलता उत्पन्न न हो।

  2. जीवनशैली में बदलाव - एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, जिसमें संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और उन गतिविधियों से बचना शामिल है, जिनसे तिल्ली को चोट लगने का खतरा हो सकता है, फायदेमंद हो सकता है।

होम्योपैथी

बढ़ी हुई तिल्ली का इलाज होम्योपैथी दवाओं से भी संभव है। डॉक्टर को जानकारी देने के बाद वो कुछ दवाएं लेने की सलाह देते हैं।

  1. चेलिडोनियम लीवर की सूजन को ठीक करने के साथ ही बढ़ी हुई तिल्ली को कम करने में मदद करता है।

  2. नेट्रम म्यूर, नक्स वोमिका,हाइड्रैस्टिस आदि होम्योपैथी दवाओं का इस्तेमाल बढ़े हुए तिल्ली के इलाज में किया जाता है। डॉक्टर से सलाह के बाद ही होम्योपैथी दवा का सेवन करना चाहिए।

दवाई

  1. अंतर्निहित स्थितियों का उपचार - स्प्लेनोमेगाली के अंतर्निहित कारण, जैसे संक्रमण, यकृत रोग, या ऑटोइम्यून विकारों का इलाज करने से प्लीहा के आकार को कम करने में मदद मिल सकती है।

  2. लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए दवाएं - बढ़े हुए प्लीहा से जुड़े दर्द या परेशानी जैसे लक्षणों को कम करने के लिए दर्द निवारक या सूजन-रोधी दवाएं निर्धारित की जा सकती हैं।

सर्जिकल

  1. स्प्लेनेक्टोमी - गंभीर मामलों में या जब अन्य उपचार विकल्प अप्रभावी रहे हों, तो प्लीहा को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाने (स्प्लेनेक्टोमी) पर विचार किया जा सकता है।
    यह प्रक्रिया आम तौर पर उन मामलों के लिए आरक्षित है जहां प्लीहा काफी बढ़ गई है या गंभीर जटिलताएं पैदा कर रही है।

  2. आंशिक स्प्लेनेक्टोमी - कुछ मामलों में, जब संभव हो, तो इसके आकार को कम करते हुए इसके कुछ कार्यों को संरक्षित करने के लिए प्लीहा को आंशिक रूप से हटाया जा सकता है।

तिल्ली की सर्जरी की कीमत

तिल्ली बढ़ने पर सर्जरी (स्प्लेनेक्टोमी) कराने पर कीमत में अंतर हो सकता है। कीमत में अंतर अस्पताल के चुनाव और स्थान पर निर्भर करता है। एक से तीन घंटे तक चलने वाली सर्जरी की कीमत निम्न प्रकार हो सकती है। 

सर्जरी की कीमत कीमत
सर्जरी की न्यूनतम कीमत ₹ ४२०००
सर्जरी की सामान्य कीमत ₹ ७८८५०
सर्जरी की अधिकतम कीमत ₹ १३००००

तिल्ली बढ़ने से संबंधित जटिलताएं

तिल्ली बढ़ने से संबंधित कुछ जटिलताएं भी होती हैं।

  1. ऊतक नष्ट होना - जब तिल्ली गंभीर रूप से बढ़ जाती है, तो तिल्ली खुद की रक्त आपूर्ति बढ़ा लेती है। जब रक्त ऊतक तक नहीं पहुंचता है, तो वो काम करना बंद कर देते हैं या नष्ट हो जाते हैं।

  2. हाइपरस्प्लेनिज्म - तिल्ली बढ़ने पर अति सक्रिय हो जाती है। इस कारण से एनीमिया की समस्या या फिर सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी या प्लेटलेट में कमी हो सकती है।

  3. तिल्ली का फटना - समय पर तिल्ली का इलाज न मिलने पर उसके फटने की संभावना बढ़ जाती है।

इन लक्षणों के दिखने पर डॉक्टर से मिलें

तिल्ली का आकार बढ़ने पर शरीर में विभिन्न प्रकार के लक्षण नजर आने लगते हैं। निम्न बातों को महसूस करने पर डॉक्टर से मिलना चाहिए।

  1. अगर एनिमिया के लक्षण के लक्षण जैसे कि थकावट या कमजोरी लगे तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

  2. बाएं पेट या बाएं कंधे में दर्द हो, तो बिना देरी किए डॉक्टर को बताना चाहिए।

  3. यदि लगातार संक्रमण की समस्या या जुकाम हो रहा है, तो डॉक्टर को दिखाने की जरूरत होती है।

  4. अगर जल्दी चोट लग जाती है और जल्द ही खून बहने लगता है तो भी बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

डॉक्टर बीमारी के निदान के लिए टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। 

समय पर इलाज न होने पर खतरा

समय पर यदि बढ़ी हुई तिल्ली का इलाज नहीं किया जाता है, तो व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कुछ समस्याएँ इस प्रकार हैं:

  1. रक्त कोशिकाएं कम होना -  शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या घटने लगती है जो एनिमिया की बीमारी का कारण बनता है।

  2. संक्रमण बने रहना - व्यक्ति को संक्रमण की समस्या बनी रह सकती है जो कि गंभीर भी हो सकता है।

  3. जान का खतरा - तिल्ली का इलाज न होने पर उसके फटने का खतरा बढ़ जाता है। तिल्ली फटने पर व्यक्ति की जान को खतरा भी हो सकता है।

तिल्ली के लिए आहार

डॉक्टर इस बात पर जोर नहीं देते हैं कि तिल्ली के बढ़ने का आहार से सीधा कोई संबंध है। अगर आप बढ़ी हुई तिल्ली से परेशान हैं, तो आपको खाने में स्वस्थ आहार शामिल करना चाहिए। 

खाने में ऐसी चीजें बिल्कुल शामिल ना करें, जो शरीर की विभिन्न बीमारियों जैसे कि दिल की बीमारी, यकृत की समस्या को बढ़ाएं।

क्या खाना चाहिए?

खाने में ऐसे आहार को शामिल करना चाहिए जो प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाएं और सूजन की समस्या को कम करने में मदद करें।

  1. प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले आहार- हरी सब्जियां, खट्टे फल, अदरक, लहसुन। 

  2. सूजन दूर करने वाला आहार - असंतृत वसा, जैतून का तेल, मछली, नट्स, कद्दू के बीज, किशमिश, स्ट्राबेरीज।

क्या नहीं खाना चाहिए?

कुछ खाद्य पदार्थ शरीर में सूजन और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने के काम करते हैं। ऐसे पदार्थ लिवर के साथ ही उपापचय की क्रिया को बिगाड़ने का काम करते हैं।

लिवर में समस्या, दिल की बीमारी आदि बढ़ी हुई तिल्ली का कारण बन सकती है। स्वस्थ्य तिल्ली के लिए निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को नहीं खाना चाहिए:

  1. पैकेज्ड स्नैक्स फूड्स

  2. मिठाई

  3. डेली मीट

  4. फास्ट और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ

निष्कर्ष

तिल्ली  न सिर्फ शरीर को कीटाणुओं से बचाने का काम करती है बल्कि शरीर के अहम कामों में योगदान भी करती है। जब किसी कारण से तिल्ली को हटा दिया जाता है तो व्यक्ति को संक्रमण होने का खतरा अधिक रहता है। 

तिल्ली की समस्या का सामना किसी को भी करना पड़ सकता है। अगर आपको तिल्ली से संबंधित कोई संदेह है या इलाज को लेकर कई प्रश्न हैं तो HexaHealth के विशेषज्ञ डॉक्टर से ऑनलाइन या ऑफलाइन सलाह ले सकते हैं। 

अधिक पढ़ने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर जा सकते हैं

  1. Liver

  2. Kidney Kharab Hone Ke Lakshan

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अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

तिल्ली शरीर का एक अंग होता है, जो पेट के ऊपरी बाईं ओर, बाएं पसली के नीचे स्थित होता है। एक सामान्य, स्वस्थ तिल्ली या तिल्ली 1२ सेंटीमीटर तक लंबी होती है। तिल्ली लसीका तंत्र का हिस्सा होती है।

तिल्ली शरीर का जरूरी अंग होती है। इसके कार्य निम्नलिखित हैं:

  1. तिल्ली खून को छानने का काम करती है और साथ ही खून से खराब पदार्थों को हटाती है। 

  2. तिल्ली की मदद से श्वेत रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है। 

  3. तिल्ली शरीर को संक्रमण से बचाने का काम करती है और शरीर के तरल पदार्थों को संतुलित रखती है।

तिल्ली बढ़ने के एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। 

  1. कई प्रकार के संक्रमण जैसे कि एचआईवी, तपेदिक, एंडोकार्डिटिस,

  2. परजीवी संक्रमण जैसे कि मलेरिया, टोक्सोप्लाजमोसिज 

  3. यकृत रोग 

  4. कैंसर

तिल्ली बढ़ने के कारण शरीर में विभिन्न लक्षण नजर आ भी सकते हैं और नहीं भी। 

  1. पेट के ऊपरी बाईं ओर दर्द 

  2. बाएं कंधे और पीछे की ओर दर्द 

  3. भूख में कमी

  4. जल्दी पेट भर जाना

  5. थकान और कमजोरी लगना

बढ़ी हुई तिल्ली का निदान निम्नलिखित तरीके से किया जाता है।

  1. रक्त परिक्षण

  2. इमेजिंग टेस्ट

  3. अस्थि मज्जा विश्लेषण 

 उपरोक्त परिक्षणों  की मदद से बीमारी का निदान हो जाता है। डॉक्टर बीमारी के लक्षण जानने के बाद शारीरिक जांच करते हैं। इसके बाद बीमारी के निदान के लिए अन्य टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।

तिल्ली का नॉर्मल साइज १२ सेमी तक लंबा और वजन ७० ग्राम होता है। जब तिल्ली बढ़ जाती है तो २० सेमी तक लंबी हो सकती है। बढ़ी हुई तिल्ली का वजन १,००० ग्राम से अधिक हो सकता है।

जब तिल्ली का आकार बढ़ जाता है तो डॉक्टर जांच के बाद बताते हैं कि किस प्रकार से इलाज किया जाएगा। जरूरत के अनुसार डॉक्टर निम्नलिखित इलाज कर सकते हैं:

  1.  दवाइयों के माध्यम से

  2.  विकिरण उपचार 

  3.  सर्जरी 

यदि तिल्ली खराब होने के लक्षण दिखने पर डॉक्टर को दिखाया जाये तो सर्जरी से बचा जा सकता है।

जब तिल्ली का आकार बढ़ जाता है तो कुछ घरेलू उपचार अपनाकर तिल्ली बढ़ने के लक्षणों से राहत मिलती है।

घरेलू उपचार अपनाने से छोटी स्वास्थ्य समस्याओं से तुरंत राहत मिल जाती है। सूजन की समस्या कम होती है और साथ ही दर्द से राहत मिलता है। 

कुछ होम्योपैथी दवाएं बढ़ी हुई तिल्ली की समस्या से निजात दिलाने में मदद करती हैं।

  1. चेलिडोनियम लीवर की सूजन को ठीक करने के साथ ही बढ़ी हुई तिल्ली को कम करने में मदद करता है।

  2. नेट्रम म्यूर, नक्स वोमिका,हाइड्रैस्टिस आदि होम्योपैथी दवाओं का इस्तेमाल बढ़े हुए तिल्ली के इलाज में किया जाता है।

डॉक्टर से सलाह के बाद ही होम्योपैथी दवा का सेवन करना चाहिए।

तिल्ली के बढ़ने से कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं। डॉक्टर मरीज की जांच करने के बाद इलाज के तरीके के बारे में बताते हैं।

  1. डॉक्टर मरीज को ऐलोपैथिक दवाएं दे सकते हैं।

  2. कुछ वैकल्पिक उपचार और घरेलू उपचार भी समस्याओं को खत्म करते हैं।

  3. डॉक्टर स्प्लेनेक्टोमी कर सकते हैं और प्रभावित तिल्ली को हटा सकते हैं।

आहार पर ध्यान देकर तिल्ली से संबंधित समस्या से राहत मिलती है। 

  1. डॉक्टर्स खाने में मछली और नट्स, असंतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थ, ताजा बना हुआ खाना आदि खाने की सलाह देते हैं।

  2. वहीं बढ़ी हुई तिल्ली के दौरान ऐसे व्यायाम या कार्य करने की सलाह नहीं दी जाती है, जिससे तिल्ली के फटने का खतरा हो।

तिल्ली बढ़ जाने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए और साथ ही निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  1. बढ़ी हुई तिल्ली के फटने का खतरा अधिक होता है इसलिए धक्का लगने वाले काम नहीं करना चाहिए।

  2. खेल में हॉकी, फुटबॉल आदि से दूरी बनानी चाहिए।

  3. डॉक्टर जिन दवाओं को खाने की सलाह दें, उसे समय पर लेना चाहिए।

आपकी बढ़ी हुई प्लीहा का इलाज करने के लिए, आपके डॉक्टर को अंतर्निहित कारण का इलाज करना होगा। यदि आपकी बढ़ी हुई प्लीहा का कारण कोई संक्रमण है, तो आपका डॉक्टर संक्रमण पैदा करने वाले जीव के आधार पर आपको एंटीबायोटिक्स लिख सकता है।

यदि लेप्रोस्कोपिक तकनीक से सर्जरी की गई है तो परिणाम दो तीन दिन बाद तक दिखने लगते हैं। वहीं खुले चीरे के माध्यम से हुई सर्जरी में सात दिन से अधिक का समय लग सकता है। इस बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

  1. मिथक: तिल्ली का शरीर में कोई खास कार्य नहीं होता है।

    तथ्य: तिल्ली शरीर का महत्वपूर्ण अंग होता है। तिल्ली कीटाणुओं से बचाव करती है। यदि किसी कारण से तिल्ली को हटा दिया जाता है, तो व्यक्ति को संक्रमित होने की अधिक संभावना रहती है। तिल्ली हटाए जाने के कुछ साल तक बच्चों और वयस्कों को जल्द संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। [१]
  1. मिथक:रक्त संबंधी बीमारी तिल्ली के कार्य को बाधित नहीं करती है।

    तथ्य: रक्त संबंधी कुछ बीमारी जैसे कि सिकिल सेल बीमारी तिल्ली के कार्य को बाधित करने का काम कर सकती है। साथ ही कुछ बीमारियां जैसे कि प्रतिरक्षा तंत्र की बीमारी (रूमेटाइड गठिया), एमिलॉयडोसिस आदि तिल्ली के कार्य को बाधित कर सकती हैं।

सन्दर्भ

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  1. बढ़ा हुआ तिल्ली (स्प्लेनोमेगाली): लक्षण, कारण और amp; उपचार [इंटरनेट]।link
  2. तिल्ली के रोग | तिल्ली का दर्द | सूजी हुई तिल्ली [इंटरनेट]। यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसीन;।link
  3. मॉर्फिन - स्टेटपर्ल्स - एनसीबीआई बुकशेल्फ़ - नेशनल सेंटर फॉर ... [इंटरनेट]।link
  4. तिल्ली: तिल्ली कार्य, बढ़ा हुआ तिल्ली, तिल्ली क्या करता है [इंटरनेट]।link
  5. तिल्ली विकार - एनएसडब्ल्यू स्वास्थ्य [इंटरनेट]।link
  6. तिल्ली के रोग। [इंटरनेट]।link
  7. गेर्शोवित्ज़ एम; सर्जिएन्को आर; फ्रीडलर जेएम; विज़्निट्ज़र ए; ज़्लोटनिक ए; शीनर ई; स्प्लेनेक्टोमी के बाद महिलाओं में गर्भावस्था के परिणाम [इंटरनेट]। यूएस नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसीन;।link
  8. बढ़ी हुई तिल्ली (स्प्लेनोमेगाली) [इंटरनेट]।link
  9. पेशेवर सीसी मेडिकल। स्प्लेनेक्टोमी (तिल्ली हटाना): कारण, प्रक्रिया, जोखिम और amp; परिणाम [इंटरनेट]।link

Last Updated on: 5 September 2024

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

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