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प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द क्यों होता है? जानें कारण और सही उपाय

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Medically Reviewed by Dr. Aman Priya Khanna
Written by Shivani Arora, last updated on 9 September 2024| min read
प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द क्यों होता है? जानें कारण और सही उपाय

Quick Summary

Pregnancy period is a time of great change for a woman's body. One of the most common complaints is back pain, which can be caused by a number of factors.

Here are three tips to help relieve back pain during pregnancy:

  • Stay active. Exercise can help to strengthen your core muscles and improve your posture, which can both help to relieve back pain.
  • Use heat or cold therapy. Applying heat or cold to your back can help to relieve pain and inflammation.
  • Get regular massages. Massage therapy can help to relax your muscles and relieve pain.

If you are experiencing severe back pain, be sure to talk to your doctor.

प्रेग्नेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द लगभग 80 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करता है। इस दौरान महिलाओं का शरीर प्रसव के लिए प्राकृतिक रूप से तैयार हो रहा होता है। गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में भी कमर दर्द पीरियड के दर्द जैसा महसूस होता है। 

ऐसी स्थिति में प्राकृतिक उपाय अपनाकर दर्द को कम किया जा सकता है। आइए देखते हैं प्रेगनेंसी में कमर दर्द क्यों होता है और इसको कम करने के लिए क्या क्या उपाय हो सकते हैं।

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प्रेग्नेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द

प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा दर्द होना बहुत आम बात है, खासकर शुरुआती दौर में। कभी-कभी दर्द इतना गंभीर हो जाता है कि यह सामान्य गतिविधियों को करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न कर सकता है।

अध्ययनों से पता चलता है कि कमर के निचले हिस्से में दर्द आमतौर पर गर्भवती होने के पांचवें और सातवें महीने के बीच होता है। हालांकि कुछ मामलों में यह आठ से बारह सप्ताह की शुरुआत में ही हो जाता है। दर्द की मात्रा हल्के से लेकर तीव्र तक हो सकता है। 

गर्भावस्था में आपके शरीर के स्नायुबंधन (लिगामेंट्स) स्वाभाविक रूप से नरम हो जाते हैं और आपको प्रसव के लिए तैयार करते हैं। यह आपकी पीठ के निचले हिस्से और श्रोणि (पेडू) के जोड़ों पर दबाव डाल सकता है, जिससे कमर दर्द हो सकता है।pregnancy me period jaisa kamar dard image

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प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द होने के कारण

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को कमर में पीरियड जैसा दर्द कई वजहों से हो सकता है। यह कमर दर्द या तो शरीरिक कारणों से होता है अन्यथा रोग संबंधी होता है। 

  1. शारीरिक कारण 
    शरीर में कुछ बदलाव से प्रेगनेंसी में कमर दर्द होता है। जैसे:
    1. हार्मोनल परिवर्तन
      गर्भावस्था के दौरान, रिलैक्सिन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इस वजह से स्नायुबंधन और जोड़ शिथिल और ढीले हो जाते हैं। यह परिवर्तन पीठ के निचले हिस्से और श्रोणि पर अतिरिक्त तनाव डाल सकता है, जिससे प्रेग्नेंसी में कमर दर्द हो सकता है।
    2. जीवन शैली के कारक
      जीवनशैली में कुछ बदलाव भी प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द का कारण बन सकते हैं:
      1. मांसपेशियों में दबाव : प्रेगनेंसी में कमर दर्द मांसपेशियों में दबाव पैदा कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप दर्द होता है। इससे पोस्चर में परिवर्तन होता है, जैसे कंधों के ऊपर झुकना, जो पीठ की मांसपेशियों पर भी अतिरिक्त दबाव डाल सकता है।
      2. वजन बढ़ना : गर्भावस्था में महिलाओं का वजन बढ़ जाता है। इससे उनके पेल्विस के ऊपर अतिरिक्त चाप पड़ता है जिसके कारण प्रेग्नेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द होता है। 
      3. गलत पोस्चर : आपके गर्भाशय और बच्चे के बढ़ने के साथ आपका गुरुत्वाकर्षण केंद्र धीरे-धीरे आगे बढ़ जाता है। इस वजह से गर्भवती महिलाएं अपने शरीर को पीछे की तरफ धकेल कर रखतीं हैं।‌जिससे परिणामस्वरूप पोस्चर बदल जाता है। लगातार एक ही पोजीशन में कमर को पीछे रखने से दर्द की समस्या ज़्यादा हो जाती है।Physical causes of backpain in pregnancy image
  2. रोग संबंधी कारण
    कुछ चिकित्सीय स्थितियां हैं, जो गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द को बढ़ा सकती हैं। जैसे:
    1. हर्नियेटेड डिस्क : फैलता हुआ गर्भाशय पीठ के निचले हिस्से पर दबाव डालता है। अगर आपको गर्भावस्था से पहले ही हर्नियेटेड डिस्क हो चुकी है, तो कमर दर्द होने की संभावना और बढ़ जाती है।
    2. कटिस्नायुशूल (साइटिका) : साइटिका के तंत्रिकाएं (नर्व) पीठ के निचले हिस्से से पैरों तक चलती है। गर्भावस्था में जैसे-जैसे आपका बच्चा बढ़ता है, अतिरिक्त वजन अस्थिर जोड़ों और मांसपेशियों पर दबाव डालता है। इससे नर्व कम्प्रेशन होता है और कमर दर्द की तीव्रता बढ़ जाती है। 
    3. अपक्षयी डिस्क रोग : ऑस्टियोआर्थराइटिस या अपक्षयी डिस्क रोग जैसी स्थिति गर्भावस्था के दौरान बिगड़ सकती हैं, जिससे प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा दर्द होता है।
    4. गर्भपात : गर्भपात के दौरान गर्भाशय के संकुचन से पीठ दर्द हो सकता है। यह आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से में महसूस होता है और दर्द हल्का, मध्यम या गंभीर हो सकता है।
    5. एक्‍टोपिक प्रेग्‍नेंसी : यहाँ भ्रूण गर्भाशय से नहीं जुड़ता है बल्कि वह फैलोपियन ट्यूब से जाकर जुड़ जाता है। इस तरह की प्रेग्नेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द होता है।Other causes of backpain in pregnancy image

प्रेगनेंसी में कमर दर्द के घरेलू उपाय

कुछ घरेलू उपायों की मदद से प्रेगनेंसी में हो रहे दर्द से आराम मिल सकता है। जैसे:

  1. सिकाई
    प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द होने पर २ तरह की सिकाई की जा सकती हैं:
    1. गर्म सिकाई : किसी गर्म पानी वाले बोतल से कमर में सिकाई कर सकते है। इसे २० मिनट से ज्यादा देर तक नही करना चाहिए क्योंकि इससे पेट का तापमान अधिक बढ़ जाएगा जो बच्चे पर असर कर सकता है। 
    2. ठंडी सिकाई : किसी ठंडे पानी वाले बोतल या बर्फ के टुकड़ों को मोटे कपड़े में बांधकर कमर में सिकाई करने से कमर के दर्द से राहत मिल सकती है। 
  2. मालिश
    मालिश करने से पीड़ाग्रस्त मांसपेशियों को आराम मिलता है। इससे अर्ली प्रेग्नेंसी में कमर दर्द और थकान कम होता है।  
  3. सहायक उपकरण
    मैटरनिटी बेल्ट का उपयोग करने से पीठ के निचले हिस्से को सहारा मिलता है और दबाव कम होता है।
  4. मैटरनिटी तकिये
    अपने पेट के नीचे पच्चर के आकार का मैटरनिटी तकिया लगाकर करवट लेकर लेटने से पीठ दर्द से राहत मिलता है।Home remedies for backpain in pregnancy image

जीवनशैली बदलाव से गर्भावस्था में कमर दर्द का इलाज

जीवनशैली में कुछ बदलाव से भी प्रेग्नेंसी में कमर दर्द को कम किया जा सकता है। जैसे:

  1. व्यायाम
    प्रेग्नेंसी में कुछ हल्की एक्सरसाइज करने से शरीर पर जोर भी नही पड़ता है और कमर दर्द की समस्या से भी आराम मिलता है। कुछ निम्नलिखित एक्सरसाइज प्रेग्नेंट महिलाएं कर सकती हैं: 
    1. स्विमिंग : प्रतिदिन १५ से २० मिनट स्विमिंग करने से साइटिक नर्व में होने वाला दर्द नही होता है। इसके अलावा स्विमिंग करने से तनाव कम होता है और शरीर तरोताजा रहता है। 
    2. साइक्लिंग : आधा घंटा साइकिलिंग करने से शरीर में लचीलापन बढ़ता है और हड्डियां मजबूत होती है। यह प्रसव के लिए बेहद फायदेमंद है। 
    3. टहलना : यह एक ऐसी एक्सरसाइज है जिसे डॉक्टर हर प्रेगनेंट महिला को करने की सलाह देते हैं। प्रतिदिन टहलने या ब्रिस्क वॉक (तेज गति से टहलने) से कमर मजबूत होती है। 
  2. प्रसव पूर्व योग
    यह विशेष प्रकार का योग है जो गर्भवती महिलाओं के लिए ही बनाया गया है। इससे कमर दर्द की समस्या ठीक होने के साथ - साथ महिलाएं डिलीवरी के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार भी हो जाती हैं। किसी प्रशिक्षित योग गुरु की मदद से इसे किया जा सकता है। इसमें हल्के व्यायाम शामिल होते हैं जैसे गहरी सांसे लेना, अनुलोम - विलोम, भ्रमरी इत्यादि। 
  3. उचित पोस्चर
    लंबे समय तक एक ही पोस्चर में न रहें। सीधे रहकर उठे या बैठें। बीच-बीच में अपनी पीठ को आगे की ओर उतना ही झुकाएं, जितना कि आरामदायक हो।
  4. ध्यान लगाना (मेडिटेशन)
    नियमित रूप से ध्यान करने से आप अपने दर्द सहन करने के स्तर को बढ़ा सकते हैं। यह गर्भावस्था के पीठ दर्द का प्रबंधन करने और प्रसव पीड़ा और प्रसव पीड़ा से निपटने में काम आ सकता है।Lifestyle changes for backpain in pregnancy image

खान पान से प्रेगनेंसी में कमर दर्द का इलाज

उचित खान पान से भी प्रेग्नेंसी में कमर दर्द से राहत पाया जा सकता है। निम्निलिखित को अवश्य शामिल करें:

  1. पानी का सेवन करें : हाइड्रेटेड रहने से जोड़ों में चिकनाई बनी रहती है और दर्द से बचा जा सकता है।
  2. फल और सब्जियां : अपने आहार में उच्च फाइबर और गहरे रंग के फल और सब्जियां शामिल करें। यदि आप पहले से ही कमर दर्द से पीड़ित हैं, तो कब्ज इसे और भी बदतर बना सकता है जिससे गर्भावस्था में बवसीर हो सकता है।
    हरी पत्तेदार सब्जियां, फल और साबुत अनाज से आपके आहार में फाइबर की एक स्वस्थ खुराक कब्ज को कम करेगी। फल और सब्जियां जैसे गाजर, चुकंदर, शकरकंद, चेरी, जामुन, अंगूर, अनार, और तरबूज पोषण से भरपूर होते हैं और सूजन से लड़कर प्रेगनेंसी के शुरुआत में पेट दर्द को कम करेगा।
  3. कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ : पर्याप्त कैल्शियम और विटामिन डी प्राप्त करने से कमर दर्द दूर रहेगा। यह हड्डियों के द्रव्यमान को बनाए रखने में मदद करता है। कैल्शियम प्राकृतिक स्रोतों जैसे दही, दूध और पनीर के साथ-साथ हरी पत्तेदार सब्जियों शामिल करें।
  4. सूजनरोधी मसाले: सुजानरोधि मसाले जैसे हल्दी अपने खुराक में शामिल करें। हल्दी का एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण 'करक्यूमिन' नामक सक्रिय संघटक से आता है जो सूजन और दर्द को ट्रिगर करने वाले मार्गों को रोकता है।
  5. प्रोटीन युक्त आहार : मांसपेशियों और हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए आपके आहार को भी पर्याप्त प्रोटीन की आवश्यकता होती है। प्रोटीन युक्त आहार का नियमित सेवन पीठ के निचले हिस्से में दर्द के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है।
    आप अपनी डाइट में चिकन, मीट शामिल कर सकते हैं। अगर आप शाकाहारी हैं तो अंडे, पनीर, टोफू, सोया दूध, बादाम दूध को अपने नियमित आहार में शामिल कर सकते हैं।
  6. फोलिक एसिड युक्त आहार: फोलिक एसिड एक प्रकार का विटामिन - बी है जो गर्भावस्था के दौरान बच्चे के समुचित विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है। उन महिलाओं के लिए जो प्रेग्नेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द का अनुभव कर रही हैं फोलिक एसिड पूरक लेना अतिरिक्त सहायक हो सकता है।Dietary modification for backpain in pregnancy image

गर्भावस्था में कमर दर्द के दौरान क्या करें

यह जानना ज़रूरी है की प्रेग्नेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द से राहत पाने के लिए क्या कर सकते है। इसमें शामिल है:

  1. संतुलित आहार लें : अगर आप का आहार संतुलित है तो आपको कब्ज़ की समस्या से राहत मिलेगी इसे आप के प्रेग्नेंसी में कमर दर्द काफी हद तक कम होगा।
  2. आरामदायक जूते पहनें : अपने वजन को समान रूप से वितरित करने के लिए फ्लैट जूते पहनें जिससे आप के कमर को अच्छा सपोर्ट मिलेगा।
  3. पीठ को सीधा रखें : बैठते या खड़े होते समय अपनी पीठ को सीधा रखें।
  4. पर्याप्त आराम करें : गर्भावस्था के दौरान अच्छी नींद लेने से आपके शरीर को आपके बढ़ते बच्चे को विकसित करने में मदद करने के लिए आवश्यक समय मिलेगा, जिससे आप इस प्रक्रिया में बेहतर महसूस करेंगी।
  5. सही गद्दे का उपयोग करें : ऐसे गद्दे का उपयोग करें जो आपको ठीक से सपोर्ट दें जिससे आप को कमर दर्द की समस्या न हो।
  6. सही वजन बनाए रखें : अगर आप का वज़न ज़्यादा हो तो आप के कमर पर और प्रभाव पड़ेगा। इस वजह से प्रेगनेंसी में कमर दर्द तीव्र हो सकता है।What to do during backpain in pregnancy image

गर्भावस्था में कमर दर्द के दौरान क्या ना करें

कमर दर्द से बचाव के लिए यह जानना जरूरी है कि किन चीजों से बचना चाहिए। गर्भावस्था में कमर दर्द के दौरान क्या ना करें:

  1. फास्टफूड : बाहर की तली - भुनी चीजें और फास्ट फूड गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द को बढ़ा सकता है क्योंकि यह अक्सर नमक, चीनी और अस्वास्थ्यकर वसा में उच्च होता है।
    यह सूजन और वजन बढ़ाने में योगदान कर सकता है। अतिरिक्त वजन पीठ पर अतिरिक्त तनाव डाल सकता है और दर्द की सम्भावना ज़्यादा हो सकती है।
  2. आसीन जीवन शैली : लंबे समय तक बैठे न रहें। इससे आप की पीठ पर अधिक तनाव पड़ सकता है ओर कमर दर्द बढ़ सकता है। 
  3. तनाव : मानसिक तनाव से पीठ की मांसपेशियों में तनाव हो सकता है, जिसे पीठ दर्द या पीठ में ऐंठन के रूप में महसूस किया जा सकता है।
  4. धूम्रपान और शराब पीना : धूम्रपान और शराब दोनों का गर्भवती महिला और उसके भ्रूण के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
    धूम्रपान से शरीर में सूजन बढ़ सकती है, जिससे कमर दर्द बिगड़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है।
    अल्कोहल कैल्शियम को अवशोषित करने की शरीर की क्षमता में भी हस्तक्षेप कर सकता है, जो मजबूत हड्डियों को बनाए रखने और पीठ दर्द को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  5. वस्तुएं गलत तरीके से उठाना: भारी वस्तुएं या वस्तुएं गलत तरीकों से न उठाएं। इससे मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है। आगे की ओर झुकने और मुड़ने से पीठ के निचले हिस्से और पैल्विक जोड़ों में अत्यधिक ऐंठन हो सकता है।What not to do during backpain in pregnancy image

गर्भावस्था में अनुपचारित कमर दर्द

गर्भावस्था में पीरियड जैसा कमर दर्द के लक्षणों का इलाज करना जरूरी है जिससे स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर प्रभाव न पड़े। नीचे दिए गए कुछ कारण हैं कि अगर इसका इलाज नहीं किया गया तो क्या हो सकता है:

  1. तीव्र दर्द : यदि गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द का इलाज नहीं किया जाता है, तो समय के साथ और दर्द बढ़ सकता है। जिससे महिला के लिए दैनिक गतिविधियों को करना मुश्किल हो जाता है।
  2. कम गतिशीलता : कमर दर्द से होने वाली असुविधा से गतिशीलता और शारीरिक गतिविधि में भी कमी आ सकती है, जिससे महिला को अपने दैनिक कार्यों को करने में कठिनाई हो सकती है और संभावित रूप से आगे की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
  3. खराब पोस्चर : गर्भावस्था के दौरान पुराना पीठ दर्द भी खराब पोस्चर का कारण बन सकता है, जो पीठ और शरीर के अन्य हिस्सों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है। 
  4. पीठ पर अतिरिक्त तनाव : जब पीठ दर्द का इलाज नहीं किया जाता है, तो यह पीठ और आसपास की मांसपेशियों पर अतिरिक्त तनाव पैदा कर सकता है, जिससे दर्द और परेशानी बढ़ जाती है।
  5. मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव : गर्भावस्था के दौरान पीठ दर्द का महिला के दैनिक जीवन और मानसिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, जिससे तनाव बढ़ता है और समग्र स्वास्थ्य में कमी आती है।Untreated backpain in pregnancy image

सारांश 

इस लेख से हमने समझा कि प्रेगनेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द कई कारणों से हो सकता है जैसे हार्मोन में बदलाव, तनाव और वजन बढ़ने से। ऐसे में कमर दर्द से राहत पाने के लिए कुछ उपाय जैसे स्विमिंग, साइकिलिंग, योगासन, और सिकाई कर सकते हैं। 

HexaHealth की मदद से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ से बात कर सकते हैं। इसके अलावा निशुल्क अपॉइंटमेंट लेकर अपनी समस्या से जुड़े सलाह ले सकते हैं। किसी भी प्रकार की सर्जरी में हमारे हेक्साबडीज सर्जरी के पहले से लेकर रिकवर होने तक पूरा ध्यान रखते हैं। 

अतिरिकत पढ़ने के लिए

गर्भावस्था के बारे में अधिक जानने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर जा सकते हैं।

  1. Early Pregnancy Urine Colour
  2. Is White Discharge a Sign of Period or Pregnancy?
  3. Ectopic Pregnancy
  4. Home Remedies for Constipation Relief during Pregnancy
  5. Side Effect of High SGPT SGOT during Pregnancy
  6. Diet for High SGPT & SGOT in Pregnancy


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अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

गर्भावस्था के दौरान, आपके शरीर के स्नायुबंधन स्वाभाविक रूप से नरम हो जाते हैं और आपको प्रसव के लिए तैयार करते हैं। यह आपकी पीठ के निचले हिस्से और श्रोणि के जोड़ों पर दबाव डाल सकता है, जिससे प्रेग्नेंसी में पीरियड जैसा कमर दर्द हो सकता है।

प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में महिलाओं के शरीर में बहुत से बदलाव होते हैं जैसे कि उनके शरीर में प्रोजेस्टेरोन और रिलेक्सिन नाम के हार्मोंन्स बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं। 

इसके अलावा गर्भावस्था में महिलाओं को तनाव भी रहता है जिसके कारण प्रेगनेंसी में जांघ में दर्द और कमर दर्द रहने की शिकायत हो सकती है।

गर्भावस्था में पीठ और कमर दर्द होने के पीछे कई कारण होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं:
  1. वजन बढ़ने से 
  2. पेल्विस पर दबाव पड़ने से 
  3. तनाव 
  4. साइटिका नर्व दबने से 
  5. हार्मोन बढ़ने से 
  6. गलत मुद्रा में रहने से 
प्रेगनेंसी के शुरुआती दौर में महिलाओं के शरीर में बच्चे का विकास होना शुरू हो जाता है जिसकी वजह से गर्भावस्था पहले महीने के दौरान पेट दर्द की समस्या हो जाती है। आमतौर पर प्रेगनेंसी के पहले महीने में कमर दर्द सामान्य होता है। 
गर्भावस्था के दौरान पीठ दर्द के कई लक्षण होते हैं जिनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं: 
  1. कमर के निचले हिस्से में हल्का या तीव्र दर्द
  2. कमर के निचले हिस्से में एक तरफ दर्द रहना
  3. सायटिका जैसा दर्द कमर में महसूस होना
  4. रात को सोते समय कमर दर्द का बढ़ जाना 
गर्भावस्था में पीठ के दर्द से बचा नहीं जा सकता लेकिन इस दर्द को कम करने के लिए कुछ उपाय कर सकती हैं जो कि निम्नलिखित हैं:
  1. अपनी कमर को सीधा रखें कोशिश करें कि पीछे की तरफ अपना वजन ना डालें।
  2. ऊंची हील वाली सैंडल पहनने से बचें। 
  3. किसी भी सामान को उठाते समय अपनी कमर के बल एकदम से न झुकें।
  4. कमर की ठंडी और गर्म सिकाई करें।
  5. हल्की एक्सरसाइज करें।
प्रसव के दौरान जब बच्चे का सिर महिला के स्पाइन और टेलबोन पर दबाव डालता है तो पीठ और कमर दर्द हो सकता है। डिलीवरी की प्रक्रिया में पीठ दर्द से कोई खास परेशानी नहीं होती है।   
अगर आपकी कमर का दर्द बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो ऐसे में गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करना बेहतर होता है। ‌डॉक्टर आपकी पूरी समस्या का निदान करके आपको उचित दवाई लेने की सलाह दे सकते हैं।‌ 
 

गर्भावस्था के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं:

  1. स्नायुबंधन दर्द
  2. यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन
  3. कब्ज
गर्भावस्था के दौरान पीठ दर्द कभी भी हो सकता है। लेकिन वजन बढ़ने और गुरुत्वाकर्षण के केंद्र में बदलाव के कारण यह दूसरी और तीसरी तिमाही में सबसे आम है।
प्रेग्नेंसी के दौरान कमर दर्द हार्मोनल परिवर्तन, स्नायुबंधन के ढीले होने के कारण होता है। यह पोस्चर में बदलाव और गर्भाशय के बढ़ते वजन से रीढ़ पर दबाव डालने के वजह से भी होता है।
पीरियड मिस होने के बाद पेट में दर्द गर्भावस्था के कारण हो सकता है। लेकिन यह अन्य कारकों के कारण भी हो सकता है जैसे ऐंठन, एंडोमेट्रियोसिस या ओवेरियन सिस्ट।
प्रेगनेंसी में पेडू में दर्द बढ़ते गर्भाशय के पेल्विक हड्डियों पर दबाव डालने और हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होता है। गर्भावस्था में पेल्विक लिगामेंट्स भी शिथिल हो जाते है।
प्रेग्नेंसी के शुरुआती तीन महीनों में पेट में हल्का दर्द होना सामान्य है। इस दौरान आपके शरीर में काफी बदलाव हो रहा होता है। आपका गर्भाशय फैलने लगता है और लिगामेंट्स स्ट्रेच होता हैं। इन सबकी वजह से थोड़ा बहुत पेट दर्द हो सकता है।

Last Updated on: 9 September 2024

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

12 Years Experience

Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Shivani Arora

Shivani Arora

BA Journalism and Mass Communication

2 Years Experience

She is an accomplished new-age professional who has interviewed prominent personalities such as Bhaichung Bhutia, G. Sathiyan, Shashi Tharoor, etc. A content writer interested in health communication, graphic desi...View More

विशेषज्ञ डॉक्टर (10)

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