क्रीम का वर्ग | कॉर्टिकोस्टेरॉइड |
बीमारी का इलाज | त्वचा संक्रमण, खुजली, लालिमा, सूजन |
मात्रा | दिन में एक से दो बार। |
घटक | क्लोबेटासोल, जेंटामाइसिन, क्लियोक्विनोल, केटोकोनाजोल और टोलनाफ्टेट |
ओवर-द-काउंटर क्रीम | नहीं |
आदत | नहीं |
आम तौर पर किसी व्यक्ति की त्वचा पर विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया रहते हैं। जब त्वचा कट जाती है तो बैक्टीरिया आसानी से त्वचा के अंदर पहुंचकर उसे संक्रमित कर देते हैं। संक्रमण ठीक करने के लिए डॉक्टर डर्मिफोर्ड क्रीम का उपयोग करने की सलाह देते हैं।
स्किन में इंफेक्शन या संक्रमण होने पर त्वचा लाल हो जाती है और सूजन दिखने लगती है। इसे सेल्युलाइटिस कहते हैं। त्वचा के संक्रमण से राहत पाने के लिए डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है। इस क्रीम का उपयोग, लाभ, कीमत आदि के बारे में जानकारी निम्नलिखित है।
डर्मिफोर्ड क्रीम क्रीमओं का संयोजन है जो त्वचा संक्रमण को ठीक करता है। क्रीम त्वचा में उपस्थित बैक्टीरिया और कवक (फंगस) का विकास धीरे-धीरे रोक देती है।
इस क्रीम का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह के बाद किया जाता है।
डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल करने से त्वचा संक्रमण संबंधी समस्याएं ठीक होती हैं। डर्मिफोर्ड क्रीम की श्रेणी के बारे में जानकारी निम्नलिखित है:
सामयिक क्रीम - ये एक सामयिक क्रीम है जिसे त्वचा की सतह पर लगाया जाता है।
क्रीम का वर्ग -डर्मिफोर्ड क्रीम का उपयोग त्वचा संक्रमण जैसे कि बैक्टीरिया और कवक को खत्म करने के लिए किया जाता है।
सूजन को कम करने के लिए स्टेरॉइड का इस्तेमाल भी होता है।
जेंटामाइसिन -बैक्टीरिया के कारण हुए संक्रमण को ठीक करने का काम जेंटामाइसिन करती है। ये क्रीम बैक्टीरिया को मारती है।
क्लोबेटासोल-ये क्रीम एक कॉर्टिकोस्टेरॉइड है। त्वचा में जलन पैदा करने वाले रसायन के उत्पादन को ये रोकता है। इस तरह से त्वचा की जलन को शांत होती है।
क्लोबेटासोल को क्रीम या फिर मरहम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
क्लियोक्विनोल और टोलनाफ्टेट- त्वचा में क्रीम का उपयोग करने से कवक के बढ़ने की प्रक्रिया रुक जाती है।
क्लियोक्विनोल और टोलनाफ्टेट ऐंटिफंगल क्रीमएं हैं जो कवक को खत्म करने का काम करती हैं।
केटोकोनाजोल-इस क्रीम का काम कवक के विकास को रोकना होता है।
त्वचा में विभिन्न प्रकार के संक्रमण हो सकते हैं। संक्रमण के कारण त्वचा में असहजता महसूस होती है।
त्वचा में पैदा हुए लक्षणों को दूर करने के लिए डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है। इस क्रीम के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
सूक्ष्मजीवों का खात्मा- डर्मिफोर्ड क्रीम सूक्ष्मजीव जैसे कि बैक्टीरिया और कवक के विकास को रोक देती है।
इस कारण से संक्रमण के लक्षण धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।
सूजन में कमी- सूजन के कारण त्वचा फूल जाती है। क्रीम में उपस्थित स्टेरॉइड सूजन को कम करता है।
संक्रमण के लक्षणों में कमी- एक से दो सप्ताह तक डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल करने से संक्रमण के कारण होने वाली लाल त्वचा और खुजली कम होने लगती हैं।
अगर त्वचा संक्रमण का समय पर इलाज न किया जाए तो स्वस्थ्य त्वचा के ऊतक नष्ट होने लगते हैं।
डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल निम्न प्रकार से फायदे पहुंचाता है।
खुजली कम होना- डर्मिफोर्डक्रीम का इस्तेमाल खुजली की समस्या को काफी हद तक कम कर देता है।
संक्रमण खत्म होने पर खुजली भी पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
लालिमा में कमी आना-क्रीम सूक्ष्मजीवों जैसे कि बैक्टीरिया और कवक की वृद्धि को रोकने का काम करती है।
इस कारण से त्वचा लाल होने की समस्या खत्म हो जाती है।
संक्रमण खत्म होना- क्रीम में उपस्थित संघटक सूक्ष्मजीवों को खत्म करते हैं।
डर्मिफोर्ड क्रीम का डॉक्टर द्वारा निर्धारित समय तक इस्तेमाल करने से त्वचा संक्रमण भी खत्म हो जाता है।
डॉक्टर की सलाह के बाद डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल किया जा सकता है। डर्मिफोर्ड क्रीम को आसानी से त्वचा में लगाया जा सकता है।
सबसे पहले प्रभावित स्थान को साफ करके सुखा लेना चाहिए।
इसके बाद प्रभावित जगह में क्रीम की पतली परत लगानी चाहिए जब तक वो पूरी तरह से अवशोषित न हो जाए।
नाक, आंख या योनी के हिस्से में क्रीम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अगर ऐसा हो जाए तो उसे तुरंत साफ कर लेना चाहिए।
डॉक्टर मरीज को डर्मिफोर्ड क्रीम एक से दो सप्ताह लगाने की सलाह दे सकते हैं। अगर निर्धारित समय तक इस क्रीम का इस्तेमाल किया जाए तो संक्रमण पूरी तरीके से ठीक किया जा सकता है।
अगर एक से दो सप्ताह बाद भी क्रीम का प्रभाव न दिखाई पड़े तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए। इसके बाद लेबल में जानकारी पढ़नी चाहिए। इस क्रीम के प्रशासन मार्ग के बारे में जानकारी निम्नलिखित है-
क्रीम- त्वचा के बाहरी हिस्से में क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है।
लोशन- यह लोशन के रूप उपलब्ध नहीं है।
इंजेक्शन- इस क्रीम का इस्तेमाल आंतरिक रूप से नहीं किया जाता है।
ओरल- डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमालमुंह से नहीं किया जाता है।
क्रीम का डोज
डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल कितना किया जाए, इस संबंध में डॉक्टर जानकारी देते हैं। क्रीम की मात्रा डॉक्टर उम्र के अनुसार बदल सकते हैं।
क्रीम का ओवरडोज या अधिक इस्तेमाल
जबडर्मिफोर्ड क्रीम अधिक मात्रा में त्वचा में लगा ली जाती है तो त्वचा की सतह इसे अवशोषित कर लेती है। इस कारण से क्रीम अधिक मात्रा में शरीर के अंदर जा सकती है।
क्रीम का उतनी बार ही इस्तेमाल करना चाहिए जितना डॉक्टर ने सलाह दी हो।
क्रीम का इस्तेमाल भूल जाना
क्रीम का डोज भूल जाने पर अगली बार सही समय पर जरूर लगाएं। अगली डोज में अधिक क्रीम का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल करने के दौरान सावधानियां
अक्सर लोग त्वचा में लगाई जाने वाली क्रीम का इस्तेमाल करते समय सावधानियां नहीं रखते हैं।
डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल करने से कुछ ही दिनों में सकारात्मक फर्क नजर आने लगता है। कुछ जरूरी सावधानियों निम्नलिखिति है -
क्रीम का इस्तेमाल करने से पहले हाथों को अच्छी तरीके से साफ कर लेना चाहिए।
जब क्रीम अच्छी तरह से लग जाए तो हाथ साबुन से धोना चाहिए। अगर ऐसा ना किया जाए तो संक्रमण दूसरे व्यक्ति तक भी आसानी से पहुंच सकता है।
डॉक्टर की बताई गई अवधि तक डर्मिफोर्ड क्रीम का उपयोग करना चाहिए।
पहले से किसी तरह की क्रीम (स्टेरॉइड युक्त) इस्तेमाल कर रहे हैं तो डॉक्टर को बताएं। बिना डॉक्टर की सलाह के डर्मिफोर्ड क्रीम नहीं लगानी चाहिए।
गर्भावस्था या फिर स्तनपान के दौरान क्रीम का इस्तेमाल करने संबंधित जानकारी उपलब्ध नहीं है।
त्वचा में डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल करने से कुछ समस्या भी महसूस हो सकती है। इस क्रीम को लगाने से निम्नलिखित दुष्रभाव दिख सकते हैं-
त्वचा में समस्या- प्रभावित क्षेत्र में क्रीम का इस्तेमाल करने से हल्की सी जलन, खुजली महसूस हो सकती है।
त्वचा में बदलाव- जब लंबे समय तक क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है तो त्वचा नाजुक महसूस हो सकती है।
क्रीम का दुष्रभाव कुछ लोगों को महसूस हो सकता है। यदि ऐसा महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
क्रीम का अधिक इस्तेमाल शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि क्रीम अधिक लग जाए तो उसे साफ कर लेना चाहिए। दुष्प्रभावों के प्रबंधन के संबंध में अहम जानकारी निम्नलिखित है-
क्रीम के साथ पारस्परिक क्रिया- डर्मिफोर्ड क्रीम त्वचा के बाहर हिस्से में लगाई जाती है। इस कारण से इसकी अन्य सामग्री के साथ परस्पर क्रिया की अधिक जानकारी नहीं है।
डर्मिफोर्ड क्रीम के संघटक की अन्य पदार्थ के साथ क्रिया के बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध है।
भोजन के साथ पारस्परिक क्रिया- भोजन के साथ डर्मिफोर्डक्रीम परस्पर क्रिया करती है या नहीं, इस संबंध में जानकारी उपलब्ध नहीं है।
बीमारी के साथ पारस्परिक क्रिया- किसी प्रकार शारीरिक स्थिति या फिर बीमारी होने पर डॉक्टर को बताएं।
डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल किस शारीरिक स्थिति में बुरा प्रभाव डालता है, इस संबंध में कम ही जानकारी उपलब्ध है -
गर्भावस्था - संक्रमण अगर गर्भावस्था में हो जाए तो डॉक्टर की सलाह के बाद डर्मिफोर्ड क्रीम का उपयोग करें।
स्तनपान के दौरान - यदि महिला बच्चे को दूध पिला रही है तो ऐसे में क्रीम का इस्तेमाल सुरक्षित है या फिर नहीं, इस बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए।
एलर्जी की समस्या - यदि क्रीम के किसी संघटक से पहले से एलर्जी है तो ऐसे में क्रीम का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
किडनी, लीवर आदि से संबंधिति कोई भी स्थिति हो, बिना डॉक्टर की सलाह के डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल करने से बचें।
किसी भी क्रीम का रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण होता है।ऐसा करने से क्रीम की प्रभाविकता या असर बना रहता है। डर्मिफोर्ड क्रीम का रखरखाव निम्नप्रकार से करें-
डर्मिफोर्ड क्रीम को किसी बंद डिब्बे (कंटेनर) के अंदर रखना चाहिए।
क्रीम को कमरे के सामान्य तापमान २५ डिग्री से. पर रखना चाहिए।
डर्मिफोर्ड क्रीम को ऐसी जगह बिल्कुल ना रखें जहां पर सीधी धूप आती हो।
इसे बच्चों की और जानवरों की पहुंच से दूर रखना चाहिए।
यदि क्रीम की समाप्ति तारीख खत्म हो चुकी है तो ऐसे में डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल करने के दौरान जीवनशैली और आहार परिवर्तन के बारे में डॉक्टर से जानकारी लेनी चाहिए। त्वचा को स्वस्थ्य बनाएं रखने के लिए निम्नलिखित आहार का सेवन किया जा सकता है-
ओमेगा-३ युक्त आहार - त्वचा में जलन की समस्या कम करने के लिए ओमेगा-३ युक्त आहार खाना चाहिए।
बादाम, अखरोट, सोयाबीन तेल, चिया के बीज, विभिन्न प्रकार की मछलियां जैसे कि टूना आदि को शामिल किया जा सकता है।
विटामिन ई – त्वचा के साथ ही बालों के स्वास्थ्य के लिए विटामिन ई बहुत जरूरी होता है।
खाने में बादाम, आम, सूरजमुखी के बीज, मूंगफली आदि विटामिन ई का अच्छा स्त्रोत माने जाते हैं।
टमाटर का सेवन- ये एंटीऑक्सीडेंट फल है जो त्वचा को मुलायम बनाता है।
क्रीम का इस्तेमाल करने के दौरान जीवनशैली में बदलाव संबंधित जानकारी उपलब्ध नहीं है।
शरीर की सुरक्षा के लिए खुद को संक्रमित होने से बचाना बहुत जरूरी है।जब तक संक्रमण का इलाज नहीं किया जाता है तो ये बढ़ता है। साथ ही शरीर को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।
त्वचा में संक्रमण के लक्षण दिखने पर बिना देरी किए डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉक्टर द्वारा बताई गई अवधि तक डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल करने से संक्रमण ठीक हो जाता है।
न चाहते हुए व्यक्ति को कभी न कभी संक्रमण का सामना करना ही पड़ता है। ऐसा अगर आपके साथ भी हुआ और आपकी त्वचा में कई समस्याएं पैदा हो गई हैं तो घबराएं नहीं। आप बिना देरी किए HexaHealth की पर्सनल केयर टीम से संपर्क कर सकते हैं। आपको हेल्थ एक्सपर्ट बीमारी की जानकारी के साथ ही इससे जुड़े बेहतर इलाज के बारे में भी जानकारी देंगे।
त्वचा में सूक्ष्मजीवों के संक्रमण के कारण पैदा हुए लक्षणों को खत्म करने के लिए डर्मिफोर्ड K5 क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है।
ये क्रीम डॉक्टर की सलाह के बाद इस्तेमाल की जा सकती है।
जब त्वचा में संक्रमण के कारण लालिमा, खुजली, सूजन हो जाती है तो डर्मिफोर्ड क्रीम का उपयोग किया जाता है।
ऐसा करने से त्वचा संक्रमण कुछ समय बाद खत्म हो जाता है।
त्वचा में संक्रमण हो जाने पर खुजली के कारण बेचैनी महसूस हो सकती है। डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल करने से संक्रमण धीरे-धीरे कम होने लगता है।
तय अवधि तक क्रीम का इस्तेमाल करने से त्वचा संक्रमण से राहत मिलती है।
यदि डर्मिफोर्ड क्रीम ऑनलाइन खरीदी जा रही है तो इसकी कीमत में अंतर हो सकता है।
१५ ग्राम डर्मिफोर्ड क्रीम की कीमत ६९ रु है।
त्वचा में क्रीम का उपयोग आसान होता है।जब त्वचा में संक्रमण हो जाए तो डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल निम्न प्रकार से करना चाहिए-
सबसे पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ करें।
अब प्रभावित स्थान को भी साफ कर सुखा लें।
क्रीम की एक पतली परत को संक्रमित स्थान में लगाएं जब तक कि वो अवशोषित न हो जाए।
अब हाथों को अच्छी तरह से साफ कर लें।
त्वचा के संक्रमण संबंधित लक्षणों को रोकने वाली डर्मीफोर्ड क्रीम में कुछ ऐसे संघटक होते हैं जो संक्रमण से बचाते हैं। ये क्रीम निम्नप्रकार से काम करती है-
संघटक में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो बैक्टीरिया और कवक को खत्म करते हैं।
साथ ही संघटक ऐसे रसायन को बनने से भी रोकते हैं, जिसके कारण खुजली आदि की समस्या पैदा होती है।
यदि कोई व्यक्ति डर्मिफोर्ड क्रीम का उपयोग डॉक्टर से परामर्श के बाद करता है तो इस क्रीम का उपयोग सुरक्षित माना जाता है।
डर्मिफोर्ड क्रीम ओवर-द-काउंटर क्रीम है या नहीं, इस संबंध में जानकारी उपलब्ध नहीं है।
त्वचा संक्रमण को ठीक करने के लिए एक से दो सप्ताह का समय लगता है। कुछ लोगों में अधिक समय भी लग सकता है।
डर्मिफोर्ड क्रीम का प्रभाव दो सप्ताह बाद तक न दिखे तो डॉक्टर को इस बारे में जरूर बताना चाहिए।
बाकी क्रीमओं और क्रीम की तरह ही डर्मिफोर्ड क्रीम के भी कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
क्रीम का इस्तेमाल करने से खुजली, जलन, त्वचा का पतला होना आदि दुष्प्रभाव दिख सकते हैं।
जब भी कभी त्वचा में खुजली, लालिमा आदि के लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल करने से पहले हाथों को अच्छे से साफ करना चाहिए।
क्रीम लगाने के बाद भी हाथों की सफाई जरूरी है।
जब क्रीम का इस्तेमाल हो जाए तो उसको अच्छी तरीके से बंद करके कंटेनर में रखना चाहिए।
बच्चों और जानवरों की पहुंच से क्रीम को दूर रखना चाहिए।
अगर गलती से क्रीम आंख, नाक, मुंह या फिर योनि में चली जाए तो तुरंत पानी से साफ कर लेना चाहिए।
किसी प्रकार की समस्या होने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
डर्मिफोर्ड क्रीम का इस्तेमाल चेहरे पर बिल्कुल नहीं करना चाहिए। साथ ही इस क्रीम को लंबे समय नहीं लगाना चाहिए।
जब तक डॉक्टर सलाह दें तभी तक इस क्रीम का इस्तेमाल करें।
इस संबंध में जानकारी उपलब्ध नहीं है। बिना डॉक्टर की सलाह के डर्मिफोर्ड क्रीम को खरीद सकते हैं या नहीं, इस बारे में अधिक जानकारी डॉक्टर से प्राप्त करें।
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Last Updated on: 19 January 2024
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Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More
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