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घुटने की चोट का दर्द बन सकता है परेशानी का सबब, जाने इलाज व प्रक्रिया

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Medically Reviewed by Dr. Aman Priya Khanna
Written by Rajath R Prabhu, last updated on 30 September 2023| min read
घुटने की चोट का दर्द बन सकता है परेशानी का सबब, जाने इलाज व प्रक्रिया

Quick Summary

  • घुटने की चोट आमतौर पर खिलाड़ियों और एथलीट में देखी जाती है।
  • घुटने की चोट का उपचार सही समय पर न होने पर ओस्टियोआर्थराइटिस और अन्य जोखिम भी देखने को मिल सकते हैं।
  • घुटने की चोट का उपचार सही समय पर होना आवश्यक होता है।

घुटने की चोट सामान्य और गंभीर हो सकता है। आमतौर पर खिलाड़ियों और एथलीट में घुटने की चोट अक्सर देखा जाता है। प्रायः ८०% घुटने की चोट स्पोर्ट्स में सक्रिय होने के कारण होता है। दुर्घटना के कारण होने वाले चोट अक्सर गंभीर हो सकते हैं जिसमें सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। 

घुटने की चोट का उपचार सही समय पर न होने पर ओस्टियोआर्थराइटिस और अन्य जोखिम भी देखने को मिल सकते हैं। इसलिए घुटने की चोट का उपचार सही समय पर होना आवश्यक होता है। 

आइए जानते हैं इस लेख में कि घुटने की चोट का उपचार न होने पर क्या जोखिम हो सकते हैं और इसके उपचार के क्या विकल्प हैं तथा उपचार की प्रक्रिया क्या रहती है। 

घुटनों की चोट का दर्द

घुटनों की चोट का दर्द हर आयु वर्ग के लोगों में देखा जाता है। घुटनों में चोट कई कारणों से हो सकता है। आमतौर पर दुर्घटनाओं के कारण लगने वाले चोट में स्थिति गंभीर हो सकती है। दुर्घटनाओं के कारण घुटनों के लिगामेंट या टेंडन फट सकते हैं जिससे तेज दर्द होता है। घुटने में होने वाला दर्द कई अन्य कारणों से भी हो सकता है जैसे:

  1. ओस्टियोआर्थराइटिस
  2. गाउट
  3. रियुमेटोइड आर्थराइटिस 
  4. शरीर में ढीलापन होने से
  5. बुर्साइटिस
  6. मेनिस्कस कार्टिलेज फट जाने से

घुटनों में दर्द होने के साथ कठोरता महसूस होना, घुटनों में जलन और लालिमा आना, घुटनों से आवाज आना, घुटनों को पूरा सीधा करने या मोड़ने में परेशानी होना, आदि लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

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घुटने की चोट का उपचार न होने के जोखिम

घुटने में चोट लगने पर आमतौर पर यह खुद से ठीक हो जाता है या फिर इलाज से ठीक हो जाता है। अगर घुटने की उपचार में लापरवाही या देरी होती है तो कुछ जोखिम हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं:

  1. ओस्टियोआर्थराइटिस: घुटनों में कई बार चोट लगने से और इसका सही उपचार न मिल पाने के कारण घुटनों में ओस्टियोआर्थराइटिस की बीमारी हो सकती है। 
  2. विकृति और विकलांगता: टेंडन की चोट में सही उपचार न मिलने पर हड्डी और मांसपेशी का जोड़ नष्ट हो सकता है जिससे घुटनों पर चलने फिरने में भी समस्या आ सकती है।
  3. नर्व डैमेज: हड्डी टूटने से आस - पास के मुलायम ऊतक भी टूट या फट सकते हैं। 
  4. नेक्रोसिस: अगर किसी वाहन से आई चोट का इलाज नहीं होता है तो घुटनों की हड्डियों तक खून का बहाव रुक सकता है जिससे वहां के ऊतक मरने लगते हैं।   
  5. टेंडोनाइटिस: मांसपेशियों और हड्डियों को जोड़ने वाले फाइबर में सूजन और जलन के साथ तेज दर्द हो सकता है। 
  6. जंपर्स नी: पटेला यानी घुटनों की कटोरी और पैरों की हड्डी को जोड़ने वाले टेंडन में जब सूजन आ जाता है तो इसे जंपर्स नी या पटेलर टेंडोनाइटिस कहते हैं। 

घुटनों के चोट का निदान

घुटनों की चोट आने पर ऑर्थोपेडिक डॉक्टर शारीरिक परीक्षण करता है। इसके अलावा ऑर्थोपेडिक डॉक्टर निम्नलिखित निदान तकनीक की मदद से घुटने की चोट का निदान किया जाता है।

  1. एक्स - रे, 
  2. कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (सी.टी.) स्कैन, 
  3. अल्ट्रासाउंड, 
  4. मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) 

निदान में चोट का कारण पता लगने के बाद डॉक्टर उचित उपचार चलाते हैं।

घुटने की चोट के उपचार और प्रक्रिया

घुटने की चोट आने पर कम या तेज दर्द हो सकता है। घुटने की चोट को कुछ घरेलू उपायों की मदद से भी ठीक किया जा सकता है। हालांकि गंभीर चोट होने पर नॉन सर्जिकल या सर्जिकल तरीकों से इसका उपचार किया जाता है जो निम्नलिखित हैं।

घरेलू उपचार 

घुटने की चोट का उपाय के रूप में जीवनशैली में बदलाव करके और कुछ अन्य उपायों से घुटनों में लगी चोट और दर्द से आराम मिल सकता है। कुछ प्रभावी घरेलू उपचार इस प्रकार हैं:

  1. जीवनशैली में बदलाव
    आराम: चोट लगने पर आराम करने से घावों को भरने में मदद मिलती है और दर्द भी कम होता है।
    खान - पान: पोषक तत्व आहार जैसे हरी सब्जियां, फल, हल्दी और दूध, मछली, आदि का सेवन करना चाहिए।
    व्यायाम: घुटनों की चोट में हल्के व्यायाम करने से काफी मदद मिलती है। घुटने की चोट के लिए लगभग १५ से २० मिनट तक निम्नलिखित व्यायाम करने से फायदे देखने को मिल सकते हैं:  
    1. हील कॉर्ड स्ट्रेच 
    2. स्टैंडिंग क्वाड्रिसेप्स स्ट्रेच 
    3. सुपाइन हैमस्ट्रिंग स्ट्रेच
    4. हाफ स्क्वाट्स
    5. हैमस्ट्रिंग कर्ल्स
    6. लेग एक्सटेंशन 
    7. स्ट्रेट लेग रेज 

​​अन्य उपचार

  1. ठंडी सिकाई: घुटने की चोट में जलन और दर्द होने पर बर्फ के टुकड़ों को कॉटन के कपड़े में बांधकर सिकाई करने से आराम मिलता है। 
  2. गर्म सिकाई: हीटिंग पैड या गर्म पानी से भरे बोतल द्वारा सिकाई करने से घुटनों में लगी चोट में रक्त संचार बढ़ता है जिससे दर्द कम होता है और घावों को भरने में आसानी होती है। 
  3. बैंडेज: घुटनों की चोट में पट्टी या बैंडेज लगाने से वहां के जोड़ स्थिर रहते हैं जिससे घावों को भरने में आसानी होती है। 
  4. उन्नयन कोण (एलिवेशन): घुटने की चोट में सूजन को कम करने के लिए पैरों को तकिए पर रखकर सोएं।

नॉन सर्जिकल उपचार 

सामान्य से अधिक गंभीर घुटने की चोट को आमतौर पर नॉन सर्जिकल उपचार की मदद से ठीक किया जा सकता है। घुटने की चोट का इलाज कुछ निम्न तरीकों से किया जाता है: 

  1. दवाईयां: घुटनों में चोट लगने पर कुछ ‘ओवर द काउंटर’ मिलने वाली दवाईयां ली जा सकती हैं। 
  2. टॉपिकल पेन रिलीवर्स: कुछ क्रीम और मलहम में मेंथॉल और अन्य रसायन होते हैं जिसे लगाने से घुटने में हो रहे दर्द का एहसास कम होता है। 
  3. थेरेपी: सर्जन कुछ हल्की  एक्सरसाइज करने की सलाह दे सकते हैं ताकि घुटने में लचीलापन और रक्तसंचार बढ़ सके और दर्द कम हो। 
  4. इंजेक्शन: दवाइयों और घरेलू उपाय से घुटने की चोट का दर्द ठीक न होने पर इंजेक्शन लगाना पड़ सकता है। घुटने में हो रहे दर्द को ठीक करने के लिए मुख्य रूप से ये इंजेक्शन दिए जा सकते हैं: 
    1. कोर्टिकोस्टेरॉइड: घुटने में हो रहे दर्द से आराम पाने के लिए डॉक्टर घुटने में कोर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन लगाते हैं जिससे कुछ हफ्तों या महीनों तक आराम रहता है। 
    2. ह्यालूरोनिक एसिड: यह तरल पदार्थ घुटनों के जोड़ों में इंजेक्शन द्वारा डाला जाता है। यह लुब्रिकेशन की तरह काम करता है जिससे चलते समय घुटनों में दर्द नही होता है। 
    3. प्लेटलेट रिच प्लाज्मा: इस दवा को इंजेक्शन के माध्यम से देने पर घुटनों की चोट और दर्द में कमी आती है।

सर्जिकल उपचार 

घुटने की चोट जब गंभीर हो जाता है और दवाइयों तथा इंजेक्शन से भी इसका उपचार नही हो पाता है तो अंततः आर्थोपेडिक डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह देते हैं। कुछ मुख्य सर्जिकल उपचार इस प्रकार हैं:  

आर्थ्रोस्कोपिक सर्जरी: आर्थ्रोस्कोपिक सर्जरी की मदद से घुटनों में ढीले या टूटे हुए लिगामेंट या मांसपेशी की मरम्मत की जाती है। इस सर्जरी में लोकल एनेस्थीसिया का प्रयोग किया जाता है। 

प्रक्रिया: 

  1. सबसे पहले मरीज के घुटनों में कुछ छेद किए जाते हैं जिसे ‘पोर्टल’ कहते हैं।  
  2. घुटनों के जोड़ों में एक तरल पदार्थ जाता है जिससे जोड़ों के दूधिया तरल बाहर निकल जाते हैं। इससे घुटनों के अंदर की चीजें साफ दिखती हैं। 
  3. इसके बाद एक छोटा सा कैमरा इंस्ट्रूमेंट घुटनों में पोर्टल की मदद से डाला जाता है जिसे आर्थ्रोस्कोप कहते हैं। इससे घुटनों के अंदर लगी चोट की छवि साफ दिखाई देती है। 
  4. अब सर्जन कुछ विशेष यंत्रों की मदद से सर्जरी को अंजाम देते हैं।

पार्शियल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी: अगर चोट के कारण घुटने के किसी हिस्से में गंभीर क्षति होता है तो उस हिस्से को आर्टिफिशियल हिस्से से बदल दिया जाता है। इस सर्जरी में ३ तरह की एनेस्थीसिया के विकल्प होते हैं I पहला जनरल एनेस्थीसिया, दूसरा स्पाइनल एनेस्थीसिया और तीसरा पेरीफेरल नर्व ब्लॉक होता है। इनमे से कोई एक एनेस्थीसिया मरीज के स्थिति के अनुसार दिया जाता है। 

प्रक्रिया:

  1. सबसे पहले सर्जन घुटनों के सामने वाले हिस्से में चीरा लगाते हैं। 
  2. इसके बाद विशेष आरी की मदद से क्षति हुए घुटने के कार्टिलेज और हड्डी को निकाला जाता है। 
  3. अब धातु से बने हिस्सों को सीमेंट की मदद से लगा दिया जाता है। 
  4. इन धातु से बने भागों के बीच चिकना प्लास्टिक लगा दिया जाता है। 

टोटल नी रिप्लेसमेंट सर्जरी: यदि गंभीर चोट लगने के कारण घुटना पूर्ण रूप से क्षति हो जाता है तो पूरे घुटने को निकालकर कृत्रिम घुटने से बदल दिया जाता है। इस सर्जरी को नी आर्थ्रोप्लास्टी भी कहा जाता है। इस सर्जरी में आमतौर पर जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है।

प्रक्रिया:

  1. इसमें सर्जन ८ से १० इंच का चीरा लगाते हैं और खराब कार्टिलेज को काटकर निकाल देते हैं। 
  2. इसके बाद धातु से बनी परत को टिबिया और फीमर हड्डियों के परत पर लगा दिया जाता है। 
  3. इसके बाद पटेला ( घुटने की कटोरी ) में भी प्लास्टिक का आवरण लगाकर घुटने में सेट कर दिया जाता है। 
  4. अंतिम बार घुटने की गतिशीलता जांच करके टांके लगा दिए जाते हैं। 

ओस्टियोटॉमी: इस सर्जरी में हड्डियों के ढांचे को सहज बनाने के लिए जोड़ों के कुछ हिस्सों को काटा - छांटा जाता है। ओस्टियोटॉमी में जनरल या स्पाइनल एनेस्थीसिया की मदद ली जाती है।

प्रक्रिया

  1. सर्वप्रथम सर्जन घुटनों के सामने वाले हिस्से में चीरा लगाते हैं जो पटेला ( घुटने की कटोरी ) के ठीक नीचे होता है।
  2. इसके बाद जरूरत के अनुसार हड्डियों के टुकड़े को काटा या निकाला जाता है। 
  3. अगर हड्डी के टुकड़े को निकाला जाता है तो वहां एक प्लेट को बोल्ट से कस दिया जाता है।
  4. अब घुटने में टांके लगा दिए जाते हैं और मरीज को आराम करने दिया जाता है। 

सारांश

इस लेख में हमने समझा कि घुटने की चोट का उपचार न होने पर भविष्य में कई जोखिम हो सकते हैं जैसे ओस्टियोआर्थराइटिस, विकलांगता, टेंडोनाइटिस आदि। घुटने की चोट आमतौर पर घरेलू उपायों और नॉन सर्जिकल उपचार से ठीक हो जाता है। यदि घुटने की चोट घरेलू और नॉन सर्जिकल उपचारों से ठीक नही होता है तो सर्जरी एक सफल विकल्प हो सकता है। 

हेक्साहेल्थ की मदद से आप अनुभवी सर्जन से घुटने की सर्जरी से जुड़ी राय ले सकते हैं। अगर आप हेक्साहेल्थ के माध्यम से सर्जरी करवाते हैं तो हमारे प्रशिक्षित हेक्साबडीज अस्पताल में भर्ती होने से लेकर सर्जरी होने के बाद तक आपका पूरा ख्याल रखते हैं। इसके अलावा बीमा क्लेम करने में भी निशुल्क मदद करते हैं। हेक्साहेल्थ के व्हाट्सएप एक्सपर्ट से चाहे जब बात कर सकते हैं।

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

घुटने में तो चोट लग जाने से घुटने की हड्डी, लिगामेंट, कार्टिलेज और टेंडन को हानि पहुंच सकती है जिसके कारण घुटनों में दर्द और सूजन की समस्या हो सकती है।
घुटने के दर्द से बचने के लिए कुछ घरेलू उपाय जैसे सिकाई, तेल से मालिश, व्यायाम आदि का सहारा लिया जा सकता है। घरेलू उपायों के अलावा कुछ दवाईयां ले सकते हैं। अगर दर्द फिर भी ठीक नही होता है तो सर्जरी से घुटने के दर्द का स्थाई इलाज हो सकता है।
घुटनों में दर्द कई कारणों से हो सकता है जिसमे पोषक तत्वों कमी से होने वाला दर्द भी शामिल है। कई पोषक तत्वों की कमी से घुटनों का दर्द हो सकता है जैसे विटामिन ए, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन सी, डी, ई, के, आयरन, फोलेट, सेलेनियम, मैग्नीशियम, कॉपर और कैल्शियम की कमी होने कारण दर्द हो सकता है। 

घुटनों के दर्द के लिए सबसे पहले ऑर्थोपेडिक डॉक्टर कुछ ओवर द काउंटर मिलने वाली दवाईयां लेने की सलाह दे सकते हैं । अगर इन दवाओं से आराम नही होता है तो एसेटामिनोफेन भी लेने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा कुछ क्रीम और मलहम से मालिश करने की सलाह भी दे सकते हैं।

गिरने के बाद घुटने में आई चोट सामान्य या गंभीर हो सकती है। अगर सामान्य चोट है तो उसे ठीक होने में कुछ दिन से लेकर कुछ हफ्ते तक लग सकते हैं। अगर चोट गंभीर है तो यह कई हफ्तों या महीनों तक रहता है। 

घुटने में अगर कोई छोटी मोटी चोट या खरोंच है तो उसे ठीक होने में कुछ सप्ताह का समय लग सकता है। अगर चोट गंभीर है जैसे कि फ्रैक्चर, टेंडन या लिगामेंट क्षतिग्रस्त हुआ है तो घुटने की चोट को सही होने में ५ - ६ महीनों या उससे भी अधिक का समय लग सकता है। 

घुटने के दर्द में ऐसी चीजें नहीं खानी चाहिए जिनसे जोड़ों में सूजन बढ़ जाए और दर्द हो। ट्रांस फैट, शुगर और अधिक नमक वाले खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए। फ्राइड फूड, कोल्ड्रिंक, मिठाइयां, नमकीन और फास्ट फूड नही खाना चाहिए।

घुटने की नस में उपयुक्त रक्त संचार न हो पाने के कारण दर्द की समस्या रहती है। इसे ठीक करने का सबसे अच्छा उपाय व्यायाम करना हो सकता है। व्यायाम करने से रक्त वाहिकाओं में खून का बहाव बेहतर होता है जिससे दर्द कम होता है।

घुटने में कट - कट की आवाज कई कारणों से आती है जिसमे से कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं: 

  1. लिगामेंट में खिंचाव होने से 
  2. जोड़ों में गैस बनने से 
  3. घुटनों की कटोरी में गतिशीलता के कारण 
  4. घुटनों में चोट लगने से 

घुटनों के दर्द से राहत पाने के लिए सबसे पहले ओवर द काउंटर मिलने वाली दवाईयां ली जा सकती हैं। इसके अलावा कुछ घरेलू उपाय जैसे सिकाई, मालिश और हल्के व्यायाम करने से घुटनों के दर्द से आराम मिल सकता है।

एक्सरसाइज करने से घुटने के दर्द में आराम देखने को मिला है। घुटने के दर्द के लिए कुछ फायदेमंद एक्सरसाइज इस प्रकार हैं: 

  1. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज 
  2. क्वाड्रिसेप्स स्ट्रेचिंग 
  3. हैमस्ट्रिंग स्ट्रेच

घुटनों में चोट लगने से घुटनों के ऊपर यानी जांघ और घुटनों के नीचे की जगहों पर दर्द हो सकता है। हालांकि समय के साथ घुटनों के ऊपर - नीचे के दर्द ठीक हो जाते हैं। 

घुटनों को मजबूत रखने के लिए विटामिन डी, विटामिन बी १२, ओमेगा थ्री फैटी एसिड्स और कैल्शियम से भरपूर भोजन का सेवन करना चाहिए। कुछ खाद्य पदार्थ जैसे अंडे, मछली, दूध, हल्दी इत्यादि में पाए जाने वाले पोषक तत्व घुटनों में आई सूजन और दर्द को कम करते हैं। 

घुटनों का दर्द कई कारणों से हो सकता है जैसे चोट, आर्थराइटिस, इत्यादि। ऐसे में जिन फलों में कैल्शियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट अच्छी मात्रा में हों उनका सेवन करने से लाभ मिलता है। इस अनुसार घुटनों के दर्द में सबसे लाभदायक फल इस प्रकार हैं: 

  1. संतरा
  2. सेब
  3. नाशपाती 
  4. कीवी 
  5. अनानास
  6. केला 
  7. एप्रीकोट 

घुटने में दर्द होने पर पोषक तत्वों वाले भोजन का सेवन करना चाहिए। ऐसे में मछली, अंडे, हरी सब्जियां, ताजे फल खाने चाहिए। 

घुटने की सूजन को कम करने के लिए एंटीइंफ्लेमेटरी और ओमेगा थ्री फैटी एसिड वाली चीजें खानी चाहिए जैसे सालमन मछली, हरी सब्जियां, खट्टे फल, आदि। इसके अलावा गर्म सिकाई और व्यायाम करने से भी घुटने की सूजन कम हो सकता है।

लिगामेंट को ठीक होने में कितना समय लगेगा यह लिगामेंट में आई चोट की गंभीरता पर निर्भर करता है। आमतौर पर लिगामेंट के चोट को ठीक होने में ३ से ४ महीने, कभी - कभी १२ महीने लग सकते हैं। अगर लिगामेंट में आई चोट अधिक गंभीर है तो यह और लंबा समय ले सकती है।

घुटनों में दर्द होने पर योगासन करने से कुछ आराम पाया जा सकता है। हालांकि यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता कि योगासन से घुटने का दर्द ठीक हो जाएगा। कुछ फायदेमंद योगासन कुछ इस प्रकार हैं: 

  1. उत्तानासन 
  2. वीरभद्रासन
  3. उपविस्थ कोणासन
  4. अंजनेयासन 

घुटनों में आमतौर पर दर्द चोट के कारण होता है लेकिन कई कारणों से घुटनों में बिना चोट के भी दर्द हो सकता है। घुटनों में दर्द होने के कुछ अन्य कारण इस प्रकार हैं: 

  1. आर्थराइटिस की बीमारी 
  2. हड्डियों में संक्रमण 
  3. कूल्हों या पैरों में दर्द 
  4. घुटनों का डिस्क खिसकने से 
  5. शरीर में ढीलापन होने से कार्टिलेज टूटकर जोड़ों में फँस जाता है। 

Last Updated on: 30 September 2023

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

12 Years Experience

Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Rajath R Prabhu

Rajath R Prabhu

MSc. Clinical Research I PG Diploma in Public Health Services Management

3 Years Experience

His work in medical content writing and proofreading is noteworthy. He has also contributed immensely to public health research and has authored four scientific manuscripts in international journals. He was assoc...View More

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