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अक्सर पाइल्स कब्ज़ की समस्या से होती है, जिसे हम आम बोलचाल की भाषा में ‘बवासीर’ के नाम से जानते है। इसके अलावा बवासीर के पीछे और भी कई वजहें हो सकती हैं, जिसमे से सबसे जरूरी अपने खान-पान पर नियंत्रण का न होना है। बवासीर से निजात पाने के लिए त्रिफला पावडर का इस्तेमाल लंबे समय से होता रहा है। यह कितना फायदेमंद है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है, आइए इस लेख से समझते हैं।
बवासीर के लिए त्रिफला चूर्ण
अक्सर पाइल्स कब्ज़ की समस्या से होती है, जिसे हम आम बोलचाल की भाषा में ‘बवासीर’ के नाम से जानते है। इसके अलावा बवासीर के पीछे और भी कई वजहें हो सकती हैं, जिसमे से सबसे जरूरी अपने खान-पान पर नियंत्रण का न होना है। बवासीर से निजात पाने के लिए त्रिफला पावडर का इस्तेमाल लंबे समय से होता रहा है। यह कितना फायदेमंद है और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है, आइए इस लेख से समझते हैं
क्या है बवासीर ?
बवासीर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज के गुदा के अंदर और बाहरी हिस्से में सूजन आ जाती है। जिसकी वजह से गुदा के अंदरूनी या बाहरी हिस्से में स्किन एक मस्सा जैसा बन जाता है। अक्सर मल त्याग के दौरान जोर लगाने पर खून के साथ तेज जलन और दर्द भी होता है। इस समस्या के वजह से व्यक्ति को बैठने में और चलने में दिक्कतों का सामना होता है।
बवासीर के प्रकार क्या है ?
बवासीर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं :
बवासीर के मुख्य लक्षण क्या हैं?
आमतौर पर बवासीर के ये मुख्य लक्षण हो सकते है:
बवासीर होने के कारण क्या हैं?
आमतौर पर बवासीर तब होता है, जब गुदा के आस-पास की नसों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। बवासीर होने के ये निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
बवासीर के उपचार
वर्तमान में बवासीर पर कई तरह के इलाज उपलब्ध हैं जिसमे सर्जरी, लेजर ऑपेरशन, आयुर्वेदिक और होमियोपेथी आदि का समावेश हैं। वहीं, आयुर्वेद में बवासीर का इलाज प्राचीन काल से जाना जाता है। आयुर्वेदिक औषधियां बवासीर को ठीक करने में और उससे संबंधित दर्द को समापत करने में मददगार होती हैं। ये बवासीर से होने वाला दर्द में काफी असरदार है। त्रिफला चूर्ण कब्ज का इलाज करने में सहायक होता है।
त्रिफला चूर्ण क्या है?
त्रिफला चूर्ण आयुर्वेदिक औषधीय जड़ी बूटियों का मिश्रण है, जिसका उपयोग पेट से लेकर दंत समस्याओं तक कई तरह के बीमारियों के इलाज के लिए प्राचीन काल से करते आ रहे है। त्रिफला चूर्ण ये इन तीन पौधों का मिश्रण है – आंवला, बिभीतकी और हरीतकी:
1)आंवला: आंवला एक ऐसा फल है, जो भारत में हर जगह सहजता से उपलब्ध होता है। ये स्वाद में खट्टा और रेशेदार बनावट वाला फल है। आंवला में फाइबर, विटामिन सी, अमीनो एसिड और खनिजों का भी एक समृद्ध स्रोत है,।
2)बिभीतकी: वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण के इलाज के लिए बिभीतकी का उपयोग आयुर्वेदिक दवा के रूप में किया जाता है। ये शरीर में यूरिक एसिड के लेवल को कम कर सकता है। बिभीतकी में गैलिक और एलाजिक एसिड जैसे कंपाउंड्स होते हैं, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में सहायता करते हैं और कब्ज के विकास की संभावना को कम करते हैं, जिससे बवासीर को रोका जा सकता है।
3)हरीतकी: ये एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जो भारत सहित मध्य पूर्व, चीन और थाईलैंड में उगती है। हरीतक त्रिफला चूर्ण का एक महत्वपूर्ण घटक है जोआयुर्वेद में हरीतकी को “दवाओं का राजा” भी कहा जाता है। हरीतकी में पर्याप्त मात्रा में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट जैसे गुण मौजूद होते हैं, जो बवासीर के इलाज में काफी लाभदायक है।
बवासीर के लिए त्रिफला चूर्ण के फायदे
त्रिफला चूर्ण एक काफी गुणकारी आयुर्वेदिक औषधी है। बाहरी, आंतरिक, खून वाली या बिना खून वाली ये हर प्रकार की बवासीर के निवारण में उपयोगी हो सकता है। बवासीर के लिए त्रिफला के फायदे इस प्रकार हैं :
त्रिफला चूर्ण के इस्तेमाल में बरतें कुछ सावधानियां
बवासीर के लिए त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल करने से पहले आपको कुछ सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए:
बवासीर को जन्म देने वाले कब्ज की रोकथाम कैसे करे
कब्ज की समस्या को रोकने के लिए निम्नलिखित बातें आपकी मदद कर सकते है:
हेक्साहेल्थ के बारे में :
Last Updated on: 29 July 2022
MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES
12 Years Experience
Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More
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