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मोतियाबिंद (Cataract) के आयुर्वेदिक इलाज की पूरी जानकारी

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Medically Reviewed by Dr. Aman Priya Khanna
Written by Charu Shrivastava, last updated on 12 October 2023| min read
मोतियाबिंद (Cataract) के आयुर्वेदिक इलाज की पूरी जानकारी

Quick Summary

  • Ayurveda suggests some herbs to prevent cataracts.
  • These herbs may help to slow down the progression of cataracts.
  • However, there is no guarantee that these herbs will be effective in treating cataracts.

आंखों में मौजूद प्रोटीन जब लेंस पर फैल जाता है तो इससे आंख का लेंस किसी भी प्रतिबिंब को पूर्ण रुप से नही बना पाता है। इसकी वजह से हमें कोई भी चीज धुंधली दिखाई पड़ती है, जिसे मोतियाबिंद कहा जाता है। मोतियाबिंद को बढ़ने से रोकने के लिए आयुर्वेद में बताई गई कुछ जड़ीबूटियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। 

लेकिन आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों के इस्तेमाल से मोतियाबिंद में लाभ की गारंटी नहीं दी जा सकती है। हालांकि इन्हें आजमाकर देखा जा सकता है।

 

आयुर्वेद में मोतियाबिंद कितने प्रकार के होते हैं?

आयुर्वेद में मोतियाबिंद 6 प्रकार के होते हैं : 

  1.  रक्तज मोतियाबिंद 
  2. पैत्तिका मोतियाबिंद 
  3. सन्निपातज मोतियाबिंद 
  4. वातज मोतियाबिंद 
  5. कफज मोतियाबिंद 
  6. परिअम्लाई मोतियाबिंद

मोतियाबिंद का घरेलू उपचार  

मोतियाबिंद का सबसे सही और कारगर इलाज सर्जरी है लेकिन अगर आपको फिलहाल में ही मोतियाबिंद हुआ है तो आप कुछ घरेलू तरीके अपनाकर इसे बढ़ने से रोक सकते हैं। 

नीचे बताए गए घरेलू उपायों को फॉलो करने से नवजात मोतियाबिंद को बढ़ने से रोका जा सकता है :

  1. केसर का सेवन करना शुरू करें। इसमे मोतियाबिंद को बढ़ने से रोकने वाले गुण होते हैं।
  2. करेले के सेवन से भी मोतियाबिंद में फायदा मिलता है। 
  3. जामुन खाना भी मोतियाबिंद के लिए लाभदायक है। इससे मोतियाबिंद तेजी से नही बढ़ता है।
  4. रिसर्च में पाया गया कि हल्दी और नींबू में एंटीऑक्सीडेंट के गुण होते हैं जो मोतियाबिंद को बढ़ने से रोकता है। आप हल्दी और नींबू का सेवन अलग अलग तरीके से कर सकते हैं।

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आयुर्वेद के अनुसार मोतियाबिंद का इलाज 

आयुर्वेद में कई औषधियां बताई जाती है जो आंखों का स्वास्थ्य बनाए रखती हैं और उन्हें पोषण देती हैं। मोतियाबिंद के लिए भी आयुर्वेद में कई जड़ीबूटियां हैं जिससे आंखों के लिए ड्रॉप बनाया गया है। मोतियाबिंद की दवा वात , पित और कफ को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। 

आयुर्वेदिक औषधियां जिनका इस्तेमाल मोतियाबिंद के इलाज के लिए किया जाता है –

  1. केसर:  बूढ़े लोगों की दृष्टि लगातार खराब होती चली जाती है। केसर के इस्तेमाल से इसके समय को बढ़ाया जा सकता है। जिससे मोतियाबिंद के बढ़ने की रफ्तार कम हो जाती है। 
  2. गिलोय, शहद और सेंधा नमक: १० ग्राम गिलोय, १ ग्राम शहद, १ ग्राम सेंधा नमक को पीसकर अच्छे से मिला लें। इसे आप रोज आंखों पर लगाएं। 
  3. त्रिफलाधी घनावटी और कुजांबू अंजाना: ५०० ग्राम त्रिफलाधी घनावटी को ओरली लिया जा सकता है वहीं पर कुजांबू की ड्रॉप को आंखों में डाला जा सकता है। 
  4. बादाम और काली मिर्च: सुबह के समय में भिगोए हुए ३-४ दाने बादाम और काली मिर्च को पीसकर मिला लें। अब इसमें मिसरी मिलाकर सेवन करें। अगर इसके बाद दूध पीते हैं तो मोतियाबिंद में लाभकारी होगा 
  5. हरी सब्जियां: हरी और कच्ची सब्जियां जैसे गाजर, मूली, इत्यादि में विटामिन ए पाया जाता है। अगर आप हरी सब्जियां खाते हैं तो आपको लाभ होगा। 
  6. पपीता: पपीता भी मोतियाबिंद के लिए फायदेमंद माना जाता है। अगर इसको रोज खाते हैं तो आंखों को लाभ मिलेगा। 
  7. चंद्रोदय व्रती: इसे पीसकर, इसका लेप आंखों में लगाया जा सकता है। यह ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है।
  8. जिंकगो बिलोबा: यह काले मोतियाबिंद यानी ग्लूकोमा के लिए बहुत इस्तेमाल किया जाता है। यह एक एंटीऑक्सीडेंट वाला पौधा है जिसे कंपनिया कैप्सूल और टैबलेट के रूप में बेचती हैं। 
  9. गेंदे का फूल: इसे कैलेंडुला भी कहा जाता है। इसके इस्तेमाल से आंखों की जलन, सूजन और रेडनेस की प्रॉब्लम खत्म हो जाती है। 
  10. त्रिफला: त्रिफला का इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता रहा है और यह आयुर्वेद की एक खास जड़ीबूटी है। इसका इस्तेमाल मोतियाबिंद के लिए किया जाता रहा है।
  11. एंटी ऑक्सीडेंट वाले पौधे: कुछ ऐसे पौधे जिनमे एंटी ऑक्सीडेंट या एंटी इंफ्लेमेटरी के गुण हैं उनका इस्तेमाल करके मोतियाबिंद को बढ़ने से रोका जा सकता है। लेकिन कुछ चुने हुए पौधों का ही इस्तेमाल किया जा सकता है। उन पौधों पर रिसर्च जारी है। 
  12. ब्लूबेरी की पत्ती: ब्लूबेरी की पत्तियों में मौजूद अम्ल मोतियाबिंद को आगे बढ़ने से रोकने में मदद करता है। इसकी पत्तियों का सेवन अलग अलग तरीकों से किया जा सकता है। 
  13. क्रैटेगस पिनाटिफिडा: यह चीन में पाया जाने वाला पेड़ है। रिसर्च में पाया गया कि इसकी पत्तियों का असर मोतियाबिंद के विरुद्ध हो रहा है। तो आगे इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।  
  14. टेफ्रोसिया पुरपुरिया: यह फूल वाला पौधा है और यह भारत और श्रीलंका में पाया जाता है। रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि इसका इस्तेमाल करने पर मोतियाबिंद का बढ़ना धीमा हो जाता है। 
  15. चीनी पवित्र पौधा 
  16. भारतीय कीनू या मालाबार कीनू ( टेरोकार्पस मार्सुपियम) 
  17. मेथी (ट्राइगोनेला फेनम-ग्रेक्यूम)  

 

क्या मोतियाबिंद दवा से ठीक हो सकता है ? 

अगर मोतियाबिंद शुरुआती स्तर पर है तो कुछ आयुर्वेदिक औषधियों के उपयोग से इसके बढ़ने की स्पीड को कम किया जा सकता है । जैसे जामुन, केसर, त्रिफला इत्यादि का सेवन करने से मोतियाबिंद तेजी से नही बढ़ता है। लेकिन मोतियाबिंद को अभी तक किसी bhठीक नही किया जा सकता इसलिए अगर यह पुराना हो चुका है तो चिकित्सक हमेशा सर्जरी की सलाह देते हैं। 

हेक्साहेल्थ के बारे में 

ऐसा प्लेटफॉर्म जहां आपका ख्याल अपनों की तरह रखा जाता है। हेक्साहेल्थ आपको आपके सही अस्पताल और डॉक्टर तक ले जाने में मदद करता है। सिर्फ मोतियाबिंद ही नही, 50+ रोगों से जुड़ी सलाह सीधे विशेषज्ञों से ले सकते हैं। ऑनलाइन और ऑफलाइन किसी भी माध्यम से परामर्श ले सकते हैं। हेक्साहेल्थ सर्जरी से लेकर स्वस्थ होने तक आपके साथ खड़ा रहता है। अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट https://www.hexahealth.com/ पर जाएं।

Last Updated on: 12 October 2023

Disclaimer: यहाँ दी गई जानकारी केवल शैक्षणिक और सीखने के उद्देश्य से है। यह हर चिकित्सा स्थिति को कवर नहीं करती है और आपकी व्यक्तिगत स्थिति का विकल्प नहीं हो सकती है। यह जानकारी चिकित्सा सलाह नहीं है, किसी भी स्थिति का निदान करने के लिए नहीं है, और इसे किसी प्रमाणित चिकित्सा या स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।

समीक्षक

Dr. Aman Priya Khanna

Dr. Aman Priya Khanna

MBBS, DNB General Surgery, Fellowship in Minimal Access Surgery, FIAGES

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Dr Aman Priya Khanna is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic, Health First Multispecialty Clinic in Delhi. He has 12 years of experience in General Surgery and worke...View More

लेखक

Charu Shrivastava

Charu Shrivastava

BSc. Biotechnology I MDU and MSc in Medical Biochemistry (HIMSR, Jamia Hamdard)

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