आपने किसी से या शायद अपने डॉक्टर से सिट्ज़ बाथ लेने के बारे में सुना होगा, या आप यह जानने के लिए उत्सुक होंगे कि उन्होंने मुझे पाइल्स की समस्या के लिए सिट्ज़ बाथ लेने के लिए क्यों कहा? या सिट्ज़ बाथ बवासीर से राहत दिलाने में कैसे मदद करता है? तो आइए, सिट्ज़ बाथ के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करने के लिए पूरा ब्लॉग पढ़ते रहें।
सिट्ज़ बाथ एक गर्म पानी का स्नान लेने की प्रक्रिया है जिसका उपयोग सफाई ,उपचार अथवा रिलीफ के उद्देश्यों के लिए किया जाता है। रोगी को टब में बैठने के लिए कहा जाता है। पानी केवल कूल्हों और नितंबों को ढकता है और पानी में दवा हो सकती है। इसका उपयोग अक्सर दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन या खुजली को दूर करने के लिए किया जाता है। बवासीर से राहत पाने के लिए, बवासीर की सर्जरी के बाद या बच्चे के जन्म के बाद सिट्ज़ बाथ की सलाह दी जाती है।
सिट्ज़ बाथ जननांग क्षेत्र, गुदा क्षेत्र और पेरिनेम में कुछ मुद्दों के इलाज और सफाई में मदद करता है। । सिट्ज़ बाथ इन क्षेत्रों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने और मांसपेशियों को आराम देने में मदद करता है।
सिट्ज़ बाथ निम्नलिखित कारणों से किया जा सकता है:
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सिट्ज़ बाथ 2 तरीकों से किया जा सकता है: बाथटब में या सिट्ज़ बाथ बाउल का उपयोग करके।
बाथटब में:
टब में सिट्ज़ बाथ लेने के लिए:
सिट्ज़ बाथ बाउल में:
सिट्ज़ बाथ बाउल एक विशेष प्लास्टिक कंटेनर है जिसे टॉयलेट सीट पर रखा जाता है। इस तरह से करें सिट्ज़ बाथ:
सिट्ज़ बाथ बाउल पर धीरे से बैठ जाएं। एक रेलिंग पर पकड़ो। या जरूरत पड़ने पर परिवार के किसी सदस्य, दोस्त या देखभाल करने वाले से मदद मांगें।
किसी भी प्रकार के सिट्ज़ बाथ के लिए:
यदि आपके पास इनमें से कोई भी हो तो तुरंत अपने डॉक्टर को बुलाएं:
हालाँकि, सिट्ज़ बाथ बहुत प्रभावी है और दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है, यदि आप ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण का सामना कर रहे हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद, यदि आपके पास अभी भी कोई प्रश्न हैं तो हमारी वेबसाइट HexaHealth पर जाएं या अधिक वर्णित विवरण प्राप्त करने के लिए हमारे व्यक्तिगत देखभाल सहायक को कॉल करें। हम सिर्फ एक फोन कॉल दूर हैं। शरमाओ मत और बस डायल करो।
सिट्ज़ बाथ एक प्रकार का थेराप्युटिक (चिकित्सीय) स्नान है जिसका उपयोग बवासीर, फिशर व पुरानी कब्ज़ जैसी बिमारियों के लिए घरेलू उपचार के तौर पर किया जाता है। इसे बच्चे से लेकर बूढ़े तक कर सकते हैं। सिट्ज़ बाथ करने की प्रक्रिया निम्न लिखित है:
जब गुदा क्षेत्र में जलन, खुजली या दर्द होता है तो डॉक्टर सिट्ज़ बाथ लेने की सलाह देते हैं। सिट्ज़ बाथ का मुख्य काम गुदा, मलाशय और पेल्विस क्षेत्र में खून के बहाव को बढ़ाना होता है जिससे इन जगहों पर हो रहे दर्द, खुजली और जलन से आराम मिलता है।
नियमित स्नान और सिट्ज़ बाथ में काफी अन्तर है। सिट्ज़ बाथ का उद्देश्य आपके गुदा क्षेत्र में हो रहे दर्द, खुजली, जलन और सूजन से राहत दिलाना होता है। नियमित स्नान में आप सामान्य तापमान का पानी इस्तेमाल करते हैं वहीं सिट्ज़ बाथ में गुनगुना पानी इस्तेमाल किया जाता है। नियमित स्नान में आपका पूरा शरीर शामिल होता है, लेकिन सिट्ज बाथ में सिर्फ आपका गुदा क्षेत्र शामिल होता है। बवासीर से आराम पाने के लिए सिट्ज बाथ दिन में २ से ३ बार करना चाहिए, लेकिन नियमित स्नान आप अपनी इच्छानुसार दिन में किसी भी समय कर सकते हैं।
१५ से २० मिनट तक सिट्ज़ बाथ करने पर गुदा क्षेत्र में हो रही खुजली,जलन और दर्द से आराम मिलना शुरू हो जाता है। हालांकि सिट्ज़ बाथ इन समस्याओं का स्थाई इलाज नहीं है क्योंकि कुछ घंटों बाद फिर से गुदा में खुजली, जलन और दर्द महसूस हो सकता है। इसलिए डॉक्टर सिट्ज़ बाथ को दिन २ से ३ बार लेने की सलाह देते हैं। आप अपने उपचार के साथ - साथ डॉक्टर की सलाह पर सिट्ज़ बाथ ले सकते हैं।
सिट्ज़ बाथ के लिए पानी गर्म नही होना चाहिए बल्कि हल्का गर्म यानी गुनगुना पानी होना चाहिए। इसके तापमान की बात करें तो इसका ओसत्तम तापमान ३७° सेल्सियस से ३९° सेल्सियस तक होना चाहिए। फारेनहाइट में यह ९९° से १०२° फारेनहाइट तक होना चाहिए। इस तापमान पर सिट्ज़ बाथ लेने से आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। हालांकि आप अपने अनुभव के आधार पर भी सिट्ज़ बाथ ले सकते हैं, जब आपको पानी में बिल्कुल सहजता महसूस हो तभी आप इसका उपयोग सिट्ज़ बाथ के लिए करें।
आमतौर पर बवासीर के मरीज़ों को डॉक्टर १५ से २० मिनट तक सिट्ज़ बाथ लेने की सलाह देतें हैं। आप सिट्ज़ बाथ दिन में २ से ३ बार ले सकते हैं। इस विषय में आप अपने डॉक्टर से बात जरूर करें। डॉक्टर आपको आपके बवासीर की गंभीरता को देखते हुए सिट्ज़ बाथ की पूरी जानकारी जैसे सिट्ज़ बाथ दिन में कितनी बार लेना चाहिए, कितने समय तक लेना चाहिए आदि चीजें अच्छे से समझा देंगे।
बवासीर, भगंदर (फिस्टुला) और कब्ज़ जैसी समस्याओं से पीड़ित मरीज़ को डॉक्टर सिट्ज़ बाथ लेने की सलाह देते हैं। सिट्ज़ बाथ हल्के गर्म पानी में लिया जाता है। बवासीर में सिट्ज़ बाथ लेने के निम्न फायदें होतें हैं:
आपको सिट्ज़ बाथ में एप्सम नमक का इस्तेमाल करना चाहिए या पोटैशियम परमैंगनेट का यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कौन से समस्या है। इसके लिए आपके डॉक्टर आपकी समस्या को देखते हुए एक बेहतर सुझाव दे सकते हैं। हालांकि अगर आपके गुदा क्षेत्र में खुजली और म्यूकस अधिक है तो पोटैशियम परमैंगनेट एक अच्छा विकल्प हो सकता है। चूंकि पोटैशियम परमैंगनेट में थोड़ा एंटीसेप्टिक और एस्ट्रिंजेंट के गुण होते हैं इसलिए यह त्वचा को सुखा देता है, इसलिए इसका इस्तेमाल एंटी - फंगल के तौर पर भी किया जाता है। वहीं पर सिट्ज़ बाथ में एप्सम नमक का इस्तेमाल करने से भी गुदा क्षेत्र में खुजली, दर्द, सूजन और जलन से निपटने में मदद करता है। आमतौर पर बवासीर के मरीजों को, प्रसव के बाद डॉक्टर एप्सम नमक का ही इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं क्योंकि यह पोटैशियम परमैग्नेट से सुरक्षित माना जाता है। पोटेशियम परमैग्नेट के प्रबंधन में लापरवाही जैसे बच्चे के हाथ में लगने पर यह हानिकारक साबित हो सकता है।
आमतौर पर, बवासीर के मरीज़ों को दिन में २ से ३ बार सिट्ज बाथ लेने की सलाह डॉक्टर देते हैं। यदि मरीज रोजाना १५ से २० मिनट के २ से ३ बार सिट्ज बाथ लें तो उसे खुजली, दर्द से आराम मिलता हैं। इसके अलावा सिट्ज़ बाथ लेने की आवृत्ति कम या ज्यादा की जा सकती है, जिसकी सलाह आपके डॉक्टर देते हैं। आमतौर पर अगर आपको सिट्ज़ बाथ से आराम मिल रहा है तो डॉक्टर आपको दिन में ३ से ४ बार भी लेने की सलाह दे सकते हैं।
एप्सम साल्ट यानि सेंधा नमक यह मैग्नीशियम सल्फेट का एक मुख्य स्त्रोत है। अगर बवासीर के मुख्य उपचार के साथ सिट्ज़ बाथ में एप्सम साल्ट का इस्तेमाल करते हैं तो इससे बवासीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा बल्कि बवसीर की जलन, दर्द और खुजली कम होगी। हालांकि आपको बाहरी बवासीर के लिए एप्सम नामक जैसे किसी भी चीज को सिट्ज़ बाथ में डालने की जरूरत नहीं होती है। सिट्ज़ बाथ के लिए ४-५ लीटर गुनगुने पानी में १ चम्मच एप्सम नमक का इस्तेमाल करे। अगर आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर आपको सिट्ज़ बाथ से जुड़े हर प्रश्न का जवाब दे देते हैं और सिट्ज़ बाथ लेने का तरीका विस्तार से समझा देते हैं।
वैसे तो सिट्ज़ बाथ से आपके गुदा क्षेत्र में आराम मिलता है और आराम मिलने पर डॉक्टर आपको ३ से ४ बार सिट्ज़ बाथ लेने की सलाह दे सकते हैं। हालांकि अगर सिट्ज़ बाथ करने से मरीज को दर्द या खुजली की समस्या बढ़ जाती है या पेरीनियम लाल हो जाता है और पेरीनियम में सूजन आ जाती है तो डॉक्टर आपको सिट्ज़ बाथ लेने से मना कर सकते हैं। इसलिए अगर आपको सिट्ज़ बाथ लेने के बाद किसी भी प्रकार की असुविधा या असहजता होती है तो अपने डॉक्टर को जरूर बताएं।
मलाशय के अंदर सूजी हुई नसों के कारण आंतरिक बवासीर शुरू होता है। चूंकि सिट्ज़ बाथ से रक्त प्रवाह में सुधार होता है इसलिए यह आंतरिक बवासीर के लिए भी फायदेमंद है। रक्त प्रवाह सुधरने से मलाशय में हो रहा दर्द कम हो सकता है। हालांकि सिर्फ सिट्ज़ बाथ करने से अधिक आराम नहीं मिलेगा, डॉक्टर मुख्य उपचार के साथ सिट्ज़ बाथ की सलाह देते हैं। इससे आपको फायदे देखने को मिलते हैं।
सिट्ज़ बाथ करने के बाद अपने गुदा क्षेत्र सहित नितंबों को पानी से अच्छे से साफ कर लें और किसी सूखे कॉटन के तौलिए से अच्छे से पोंछ लें। पोंछते समय रगड़ने का प्रयास बिल्कुल न करें। इस तरह आपको इन्फेक्शन होने का कोई खतरा नहीं रहता है। इसके बाद बाथटब को भी अच्छे से रगड़कर धो लें।
अक्सर एनोरेक्टल सर्जरी या प्रसव के बाद दर्द, जलन और खुजली से राहत पाने के लिए डॉक्टर सिट्ज़ बाथ की सलाह देते हैं। ऐसे में गुदा क्षेत्र में टांके लगे होने के कारण सावधानी रखना जरूरी हो जाता है। अगर आपके गुदा क्षेत्र में टांके या घाव लगे हैं तो सिट्ज़ बाथ करते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि टांकों पर अतिरिक्त तनाव न आने पाए। टांकों पर अतिरिक्त तनाव आने पर इनकी पकड़ कमजोर पड़ सकती है। इसके अलावा पानी के तापमान का विशेष ख्याल रखें। पानी हल्का गर्म ( गुनगुना ) होना चाहिए जिससे आपको जलन का एहसास न हो। सिट्ज़ बाथ लेने के बारे में आप अपने डॉक्टर से विस्तार में चर्चा कर सकते हैं।
सिट्ज़ बाथ आमतौर पर सुरक्षित होते हैं लेकिन अगर टब अच्छे से साफ़ न किया हो तो संक्रमण का थोड़ा जोखिम हो सकता है। इसीलिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि टब अच्छे से साफ़ हो और पानी बहुत ज्यादा गर्म न हो। सर्जरी के बाद भी सर्जन आपको सिट्ज़ बाथ लेने की सलाह दे सकते हैं। अगर आप सर्जन द्वारा बताए गए निर्देशों का सही से पालन करते हुए सिट्ज़ बाथ लेते हैं तो कोई समस्या नही होगी। अगर आपने बवासीर की सर्जरी के बाद सिट्ज़ बाथ की प्रक्रिया का ठीक से पालन नहीं किया तो जलन, खुजली या दर्द का अनुभव कर सकते हैं। इसके अलावा सिट्ज़ बाथ लेने के प्रायः कोई जोखिम नहीं होते हैं।
Last Updated on: 30 September 2023
Dr Saurabh Kumar Goyal is a well-known General Surgeon, Proctologist and Bariatric Surgeon currently associated with HealthFort Clinic. He has 16 years of experience in general and laparoscopic surgery and worked as an expert Surgeon in ...View More
MSc. Clinical Research I PG Diploma in Public Health Services Management
3 Years Experience
His work in medical content writing and proofreading is noteworthy. He has also contributed immensely to public health research and has authored four scientific manuscripts in international journals. He was assoc...View More
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